कर्नाटक में सरकार बनाते ही कांग्रेस सरकार पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कानूनों में बदलाव की दिशा की तरफ आगे बढ़ रही है। सिद्धारमैया सरकार भाजपा सरकार द्वारा पारित गोहत्या और मवेशी संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2021 में संशोधन पर विचार कर रही है। इशारा करते हुए कर्नाटक के पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान मंत्री के वेंकटेश ने कहा कि “अगर भैंसों को काटा जा सकता है, तो गायों को क्यों नहीं?” खुद को सही ठहराते हुए उन्होंने तर्क भी दिया कि किसान वृद्ध मवेशियों को ठिकाने लगाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए ऐसा किया जाना जरूरी है।

अपने तर्क को सही ठहराने की कोशिश में कर्नाटक सरकार में मंत्री के वेंकटेश ने कहा कि किसान वृद्ध मवेशियों को रखने और मृत पशुओं को ठिकाने लगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि हाल ही में उनके फार्महाउस में मरने वाली गायों में से एक गाय को निकालने में उन्हें कुछ कठिनाई का सामना करना पड़ा।

दरअसल, बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 1964 के अधिनियम में संशोधन करते हुए 2010 और 2012 में दो विधेयक पेश किए थे। 2014 में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा बिल वापस ले लिए गए थे। 1964 के अधिनियम के विपरीत, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा पास नए कानून में बैल और भैंसों को मारने की अनुमति दी थी, लेकिन गायों को नहीं। नए कानून में “गाय, गाय के बछड़े और 13 वर्ष से कम उम्र के बैल” की हत्या पर प्रतिबंध लगाया। साथ ही इसमें दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान भी किया। 1964 के कानून ने बैलों, भैंसों को मारने की अनुमति दी थी, यदि वे 12 वर्ष से अधिक आयु पार कर गए हों, इसके अलावा अगर वे प्रजनन के लिए अक्षम हों या बीमार घोषित हों। उस कानून ने भी किसी भी गाय या भैंस के बछड़े को मारने पर प्रतिबंध लगाया था।

फरवरी 2021 में, विपक्षी सदस्यों द्वारा विधेयक की प्रतियों को फाड़ने के हंगामे के बीच, कर्नाटक गोवध निवारण और मवेशी संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2020 विधान परिषद में ध्वनि मत से पारित किया गया था। संशोधित विधेयक में भाजपा ने मवेशियों की परिभाषा का विस्तार किया और दंड को कठोर बनाया। साथ ही मवेशियों को मारने की आयु सीमा 20 तक बढ़ा दी थी।

मौजूदा गोवध कानून के तहत दोषी को तीन से सात साल की कैद और पहले अपराध के लिए 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना है। दूसरे और बाद के अपराधों पर जुर्माने की सीमा 1 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है। तत्कालीन विपक्षी नेता के रूप में, सिद्धारमैया ने तब तर्क दिया था कि इस कानूनी प्रावधान ने गोमांस खाने वालों और मवेशियों के परिवहन, चमड़ा उद्योग और मांस पैकेजिंग उद्योग जैसी गतिविधियों में शामिल लोगों को प्रभावित किया है।

पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान मंत्री के वेंकटेश ने तर्क दिया है कि अगर भैंस और बैलों को काटने की अनुमति है तो गायों की क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि इससे किसानों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वे वृद्ध गायों को ठिकाने लगाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। हम इस कानून में संशोधन पर विचार कर रहे हैं। इसके अलावा वेंकटेश ने विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी के कारण सभी रिक्त पदों को जल्द भरने का आश्वासन दिया है। उनके अनुसार, राज्य के सभी 4,320 पशु चिकित्सा अस्पतालों में स्वीकृत 18,000 पदों में से केवल लगभग 9,000 कर्मचारी वर्तमान में काम पर हैं – जिनमें पशु चिकित्सक, निरीक्षक और सी और डी समूह के कर्मचारी शामिल हैं।

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