राज्यसभा में बजट भाषण के दौरान ‘नेमप्लेट’ विवाद का मुद्दा कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने जबरदस्त तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम छिपाने वाली सरकार इन दिनों फलों के ठेले लगाने वालों से उनका नाम पूछ रही है।

बजट भाषण के दौरान कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा यहां बैठ कर बड़ी-बड़ी बातें करना आसान है। ‘यह चूनर धानी-धानी भूल जाते, यह पूर्वा की रवानी भूल जाते..जो आकर चार दिन गांव में रहते तो सारी लंथरानी भूल जाते।’ कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों के नाम छिपाने वाली सरकार इन दिनों आम का ठेला लगाने वालों के नाम जानना चाहती है।

दरअसल, इमरान प्रतापगढ़ ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर नाम की तख्ती लगाने वाले यूपी-उत्तराखंड सरकार के आदेश का जिक्र करते हुए उन्हें घेरा। उन्होंने कहा कि मुझे तो आम के ठेलों, होटलों और ढाबों पर नेमप्लेट लगवाने वाली सरकार से पूछना है कि ‘कभी खून की बोतल पर देखा है किसी का नाम लिखा हुआ है।’

मुझे पूछना है कि क्या कोरोना के दौरान अपनी उखड़ हुई सांसों के लिए ऑक्सीजन तलाशने वाले किसी इंसान ने ऑक्सीजन लाने वाला इंसान से पूछा था कि क्या वो हिंदू है या मुसलमान? मुझे पूछना है कि लावारिस लाशों के लिए कोरोना में कांधा देने वाली चिताओं और लकड़ियां सजाने वाले किसी इंसान से पूछा गया था कि उसका महजब और नाम क्या है?

लेकिन इन दिनों ये पूछा जा रहा है। इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि तब किसी ने नहीं पूछा लेकिन आज पूछा जा रहा है और प्रधानमंत्री जी ने इसे लेकर कभी न टूटने वाली चुप्पी ओढ़ ली है। जनता ने 63 सीटें क्या कम कर दी ये लोग अमृत काल का नाम लेना ही भूल गए। कहा कि यह लोग अमृत काल, मनरेगा को भूल गए है।

आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा के रूह होते ही यूपी और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित दुकानों, ठेलों, रेस्तरां और ढाबों के मालिकों को अपने नाम की नेमप्लेट लगाने का निर्देश दिया। इसे लेकर काफी ज्यादा विवाद हुआ और फिर मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों के निर्देश पर रोक लगा दी थी।

 

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