कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों सुर्खियों में हैं, खासकर अपनी सरकार और भारत के साथ रिश्तों के कारण। पिछले कुछ समय से वह खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगा रहे हैं, जिससे कनाडा और भारत के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। इस बीच, टेस्ला के सीईओ और अरबपति व्यवसायी एलन मस्क ने जस्टिन ट्रूडो के भविष्य को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की है, जो राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम मानी जा रही है। एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि “अगले साल होने वाले कनाडा के चुनाव में जस्टिन ट्रूडो की विदाई तय है।” यह यूज़र जर्मनी की समाजवादी सरकार के गिरने के बाद कनाडा में ट्रूडो से छुटकारा पाने के लिए मस्क से मदद की अपील कर रहा था। मस्क ने उसी सवाल का जवाब देते हुए यह कटाक्ष किया।
कनाडा में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं, और इस वक्त जस्टिन ट्रूडो की सरकार अल्पमत (माइनॉरिटी) में है। उनके पास संसद में पूर्ण बहुमत नहीं है, और विपक्षी दलों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ट्रूडो की सरकार पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं, जिसमें खालिस्तान समर्थक तत्वों के प्रति नरमी दिखाने और भारत के खिलाफ बयानबाजी करना प्रमुख हैं। इसके अलावा, कनाडा में लगातार बढ़ते हुए आंतरिक मुद्दे जैसे महंगाई, स्वास्थ्य सेवाओं में कमी और आर्थिक संकट ने उनकी लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले चुनावों में ट्रूडो की सरकार के जाने के आसार ज्यादा हैं, क्योंकि उनका पार्टी के भीतर भी विरोध बढ़ चुका है। विपक्षी दल, विशेषकर कंजरवेटिव पार्टी, उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। अगर चुनाव परिणाम ट्रूडो के खिलाफ जाते हैं, तो यह उनके राजनीतिक करियर का अंत साबित हो सकता है।
एलन मस्क, जो कि डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाते हैं, के इस बयान को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मस्क की टिप्पणी न सिर्फ जस्टिन ट्रूडो के भविष्य को लेकर एक अहम इशारा है, बल्कि यह अमेरिकी राजनीति से भी जुड़ी हुई दिखती है। ट्रंप के करीबी होने के कारण मस्क की यह टिप्पणी कनाडा के मामले में ट्रंप की नीतियों का संकेत भी हो सकती है। इसके अलावा, यह अमेरिका और कनाडा के बीच के कूटनीतिक रिश्तों में भी एक नई दिशा का संकेत हो सकता है।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पिछले कुछ समय से भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, खासकर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर। ट्रूडो ने इस मामले में भारत को दोषी ठहराया था, और भारत पर आरोप लगाया था कि उसने कनाडा में निज्जर की हत्या की साजिश रची थी। ट्रूडो के इस आरोप के बाद भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक संबंधों में खटास आ गई है। भारत ने इस मामले में कनाडा के आरोपों को पूरी तरह से नकारा किया। भारतीय सरकार ने कहा कि ट्रूडो की सरकार खालिस्तानी तत्वों के प्रति समर्थन दिखा रही है, जो कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। भारत ने ट्रूडो और उनकी पार्टी पर खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया।
हरदीप सिंह निज्जर एक खालिस्तानी आतंकी था, जो कनाडा में रहते हुए खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा दे रहा था। वह खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था और भारतीय एजेंसियों के लिए वह एक गंभीर सिरदर्द बन चुका था। निज्जर पर भारत में कई आतंकवादी हमलों में शामिल होने का आरोप था और उसे भारतीय सरकार द्वारा आतंकी घोषित किया गया था। निज्जर की हत्या 18 जून 2023 को कनाडा के सरे शहर में एक गुरुद्वारे के बाहर कर दी गई थी। उसकी हत्या के बाद ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह इस हत्या में शामिल था, लेकिन भारत ने इस आरोप का सिरे से खंडन किया। भारत ने कहा कि ट्रूडो का यह आरोप राजनीति से प्रेरित था और उन्होंने इसे खालिस्तानियों को अपने पक्ष में करने के लिए उठाया था।
भारत ने हरदीप सिंह निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था और उस पर 10 लाख रुपये का इनाम भी रखा था। वह भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुका था, क्योंकि उसने लॉरेंस बिश्नोई गैंग को विदेशों में वित्तीय सहायता और लॉजिस्टिक समर्थन प्रदान किया था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, निज्जर कनाडा से भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा था और कई हमलों में शामिल था। हालांकि, कनाडा के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोडी थॉमस ने जनवरी 2024 में बयान दिया था कि भारत इस मामले में कनाडा के साथ सहयोग कर रहा है, लेकिन ट्रूडो की ओर से भारत पर लगातार आरोप लगाना विवादों का कारण बना है।
जस्टिन ट्रूडो की बयानबाजी और भारत के खिलाफ आरोपों ने कनाडा और भारत के रिश्तों में गहरी खाई बना दी है। हालांकि, अगर अगले चुनावों में ट्रूडो को सत्ता से बाहर किया जाता है और एक नया नेतृत्व सत्ता में आता है, तो भारत और कनाडा के रिश्तों में सुधार की संभावना बढ़ सकती है। नए नेतृत्व के साथ दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद और सहयोग की दिशा में नई शुरुआत हो सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सकता है।
एलन मस्क का यह बयान जस्टिन ट्रूडो के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े करता है। हालांकि, यह सिर्फ एक टिप्पणी है, लेकिन इसकी राजनीतिक महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता। कनाडा के आगामी चुनावों में यदि ट्रूडो की सरकार गिरती है, तो यह न केवल उनके राजनीतिक करियर का अंत होगा, बल्कि भारत-कनाडा के रिश्तों में भी एक नया मोड़ आ सकता है। अब यह देखना होगा कि क्या ट्रूडो अपने खिलाफ बढ़ते हुए दबाव को झेल पाते हैं या अगले साल के चुनावों में सत्ता से बाहर हो जाते हैं।