सालों बाद संसद में मऊ की आवाज गूंजी है। नवनिर्वाचित सपा सांसद राजीव राय ने मऊ के बुनकरों की समस्या जोरदार तरीके से संसद में व्यक्त की। मऊ के बुनकरों की आवाज जोरदार तरीके से उठाते हुए राजीव राय ने कहा कि मैं बदहाल बुनकर,बेहाल किसान और बेरोजगार जवानों के क्षेत्र से ऐतिहासिक मतों से जीत कर आया हूं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह हिस्सा अपने बुनाई उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। यह सैकड़ों वर्षों से चली आ रही बारीक और जटिल बुनाई की विरासत है।इस क्षेत्र के अधिकांश लोग अपने जीविकोपार्जन के लिए इस पेशे से जुड़े हुए हैं।
हमारे यहां बुनकरों की दशा बहुत खराब है। सरकार की नीतियों और साजिश की वजह से उनको बदहाली का दंश झेलना पड़ रहा है। वो जो भी साड़ियां और कपड़े बनाते , सरकारी उदासीनता के कारण उनको लाभ नहीं मिल पता। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में बुनकरों की स्थिति इतनी दयनीय है कि एक ही छोटे से घर में कई परिवारों को रहना पड़ता है। एक जब लूम चलाता तो दूसरा घर में जा कर रहता है। बाकी पूरे टाइम वो अपनी फैमिली लेकर सड़क पर आ जाते। बारिश में इधर उधर कहीं छिपना पड़ता है।
सांसद राजीव राय ने कहा कि पहले बिजली के बिल देने की फ्लैट रेट से व्यवस्था थी,जो अब खत्म कर दी गई है, इससे बुनकरों को लगभग 10 गुना ज्यादा बिजली बिल का भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि बुनकरों को फिर से उसी रेट पर बिजली दी जाए, सब्सिडी दी जाए और इसके साथ ही जीएसटी का रेट भी कम किया जाए। इसके अलावा उनको घर भी दिया जाए ताकि वो अपना जीवन यापन अच्छे से कर सकें। राजीव राय ने सदन के माध्यम से सरकार से मांग की कि उनको सोशल सिक्योरिटी में इंश्योरेंस का लाभ दे,जिससे अगर परिवार में कोई दुर्घटना होती है तो परिवार सड़क पर न आ जाए।

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