उत्तर कोरिया ने कहा है, कि उसका मिलिट्री जासूसी सैटेलाइट लॉन्च फेल हो गया है और रॉकेट समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया है।

उत्तर कोरिया की मिलिट्री जासूसी सैटेलाइट लॉन्च करने की पहली कोशिश थी, जो नाकाम हो गई है। वहीं, उत्तर कोरिया के नाकाम परीक्षण के बाद जापान ने अपने ओकिनावा द्वीप पर रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट जारी किया, हालांकि जापान ने ये भी कहा, कि अब खतरा नहीं है।

उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने कहा, कि सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए 12 दिनों का एक विंडो तैयार किया गया था और बुधवार सुबह सैटेलाइट को लॉन्च किया गया, लेकिन पहला प्रयास कामयाब नहीं हो पाया। हालांकि, उत्तर कोरिया ने ये भी कहा है, कि वो जल्द ही फिर से सैटेलाइट को लॉन्च करने की कोशिश करेगा।

कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया, कि “लॉन्च किया गया नया जासूसी सैटेलाइट परिवहन रॉकेट ‘चेओलिमा -1’ कोरिया के पश्चिमी सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया “। रिपोर्ट में कहा गया, कि “रॉकेट ने सामान्य तौर पर ही उड़ान भरी थी, लेकिन कुछ ही सेकंड्स के बाद दो-चरण इंजन के असामान्य स्टार्ट-अप के कारण रॉकेट ने अपनी गति खो दी।”

वहीं, दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में सैटेलाइट लॉन्च होने के तीन मिनट बाद हवाई हमले के सायरन बजने लगे, जिसके बाद सियोल में अफरातफरी मच गई। लोगों को आपात स्थिति के संदेश भेजे गये, जिसमें राजधानी के लोगों से कहा गया, कि वो फौरन शहर को खाली करने के लिए तैयार हो जाएं।

हालांकि, इसके 20 मिनट के बाद प्रशासन की तरफ से एक और मैसेज लोगों को भेजा गया, जिसमें कहा गया, कि पहला मैसेज गलती से भेजा गया था और लोगों को शहर खाली करने की जरूरत नहीं है।

वहीं, जापान भी अब अपने नागरिकों के लिए चेतावनी की अपील हटा चुका है और जापान ने कहा है, कि मिसाइल उसके क्षेत्र से उड़ान भरने वाली नहीं है।

उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण के फेल होने के बाद दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ स्टाफ ने कहा, कि “राकेट जल्दी ही रडार से गायब हो गया और हो सकता है कि वह बीच हवा में टूट गया हो या दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो”।

योनहाप समाचार एजेंसी ने कहा, कि उत्तर कोरिया का “प्रोजेक्टाइल अपेक्षित ड्रॉप पॉइंट तक पहुंचने से पहले रडार से गायब हो गया।” उसने कहा, कि “सेना “मध्य हवा में विस्फोट या दुर्घटनाग्रस्त” होने की संभावना देख रही है”।

उत्तर कोरिया ने रॉकेट लॉन्चिंग फेल होने के बाद इंटरनेशनल अथॉरिटीज को जो जानकारियां उपलब्ध करवाई हैं, उसमें उसने कहा है, कि उसका रॉकेट प्रक्षेपण दक्षिण दिशा की तरफ था और रॉकेट के मलबे अलग अलग चरणों में पीले सागर और प्रशांत महासागर में गिरने की उम्मीद है।

उत्तर कोरिया ने अभी जिस सैन्य जासूसी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करने की कोशिश की है, जिसमें वो फेल रहा है, वो संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का सख्त उल्लंघन है। उत्तर कोरिया पर बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रक्षेपण को लेकर प्रतिबंध लगे हुए हैं।

लिहाजा, इसकी अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान ने आलोचना की है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने सैटेलाइट लॉन्च होने से पहले कहा था, कि “स्पेस लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) में ऐसी तकनीकें शामिल हैं, जो अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों सहित बैलिस्टिक मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों के समान हैं और उनके साथ विनिमेय हैं।”

आपको बता दें, कि परमाणु-सशस्त्र उत्तर कोरिया, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की अवहेलना में तेजी से अपने हथियारों का आधुनिकीकरण और विस्तार कर रहा है और उसने 2022 में रिकॉर्ड संख्या में मिसाइलों के परीक्षण किए हैं।

हालांकि, उत्तर कोरिया का कहना है, कि वो आत्मरक्षा के लिए हथियारों का भंडार बढ़ा रहा है। पिछले साल उत्तर कोरिया ने ये भी दावा किया था, कि उसने अमेरिका के किसी भी हिस्से में मिसाइल हमला करने की क्षमता विकसित कर ली है।

एक्सपर्ट्स का कहना है, कि उत्तर कोरिया को अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के मजबूत गठबंधन से डर है, इसीलिए वो देश की अर्थव्यवस्था को दांव पर लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। इसके अलावा, उत्तर कोरिया ये भी चाहता है, कि अमेरिका उसे एक परमाणु सम्पन्न देश का दर्जा था और उसके ऊपर से लगाए तमाम प्रतिबंधों को हटाए।

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