विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ (ईयू) की विदेश मामलों की उच्च प्रतिनिधि के साथ “बहुत खुली और सार्थक” वार्ता की, जिसमें रक्षा एवं सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, साइबर एवं अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों पर चर्चा हुई।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच पहली रणनीतिक वार्ता में जयशंकर के साथ यूरोपीय संघ की उच्च प्रतिनिधि काजा कालास शामिल हुईं।

उन्होंने वर्ष के अंत तक एक “महत्वाकांक्षी और संतुलित” भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की योजनाओं पर भी चर्चा की।

जयशंकर ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि हमारी बैठक बहुत ही खुली और उपयोगी रही।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बेल्जियम की उनकी यात्रा यूरोपीय संघ के आयुक्तों के भारत दौरे के लगभग तीन महीने बाद हो रही है।

उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि विश्व व्यवस्था एक गहन परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। ये रुझान कई मायनों में तीव्र हो गए हैं। हम निस्संदेह बहुध्रुवीयता और रणनीतिक स्वायत्तता के युग में प्रवेश कर चुके हैं।”

जयशंकर ने कहा कि उन्होंने यूरोपीय संघ की उच्च प्रतिनिधि के साथ वैश्विक व्यवस्था पर विचारों का आदान-प्रदान किया है और आगे की चर्चाओं में यूक्रेन संघर्ष, पश्चिम एशिया, भारतीय उपमहाद्वीप और हिंद-प्रशांत सहित यूरोप की स्थिति पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।

आतंकवाद विरोध का मुद्दा भी एजेंडे में छाया रहा, जिसमें कालास ने “परमाणु खतरों” को भारत और यूरोपीय संघ के लिए आपसी चिंता का विषय बताया।

जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा: “भारत का दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए।”

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