समझौते पर साइन होने के बाद मां के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरा हो सका।
बच्चों के लिए दुख और पीड़ा उठाने वाली मां हर कठिनाई का सामना करके अपने बच्चों के भविष्य के लिए पैसे जोड़कर समपत्ति बनाती है। लेकिन जब इसी संपति के लिए औलादें अपनी मां की चिता में अग्नि न लगने दे तो ऐसी प्रॉपर्टी जोड़ने का क्या फायदा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में सामने आई ऐसी ही एक घटना आपको शर्मसार कर देगी।
औलाद बुढापे का सहारा होती है। हर मां-बाप उम्मीद करता है कि बुजुर्ग होने पर बच्चे उनकी देखरेख करेंगे और उन्हें सहारा देंगे। लेकिन मथुरा में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसे जानकर हर कोई चौंक गया। बीमारी से मौत होने पर बुजुर्ग मां का शव 7 घंटे तक शमसान घाट में चिता पर पड़ा रहा लेकिन मुखाग्नि देने के बजाय 3 बेटियां संपत्ति के लिए आपस में लड़ती रहीं और अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। आखिरकार रिश्तेदारों ने स्टांप पेपर मंगाकर तीनों बहनों के बीच संपतति का बंटवारा करवाया, उसके बाद ही चिता को अग्नि लगाई जा सकी।
जानकारी के मुताबिक 98 वर्षीय पुष्पा देवी मूलरूप से मथुरा के नगला छीता गांव की रहने वाली थीं। उनके पति गिर्राज प्रसाद का निधन पहले ही हो चुका था। पुष्पा देवी का कोई बेटा नहीं था बुढापे में वह अपनी शादीशुदा बेटियों के यहां रहकर बचा जीवन गुजार रही थीं। फिलहाल वे अपनी बेटी मिथलेश के यहां रह रहीं थीं।
शनिवार रात को बीमारी की वजह से पुष्पा देवी की मौत हो गई। इसके बाद अर्थी तैयार कर रविवार सुबह 10.30 बजे उनके शव को बिरला मंदिर के पास मोक्षधाम ले जाया गया। चिता तैयार कर ली गई और मुखाग्नि देने के लिए उस पर शव को लिटाया गया। तभी मृतका पुष्पा देवी की बड़ी बेटी शशि जो कि विधवा हैं, वे अपनी बहन सुनीता के साथ वहां पहुंच गईं।
दोनों बहने संपति के लिए लड़ पड़ीं। शशि का कहना था कि उनकी मां के नाम पर चार बीघा ज़मीन थी। उसकी वसीयत मिथलेश ने अपने नाम लिखा ली है, उसके आधार पर वह पूरी संपत्ति को अकेले रखना चाहती है। सुनीता ने कहा कि 4 बीघा में से डेढ बीघा जमीन मिथिलेश बेच चुकी है और अब वह बची ज़मीन भी बेचने की कोशिश में हैं।
मिथलेश ने अपनी दोनों बहनों की बात का विरोध किया। इसके चलते वहां गहमागहमी हो गई और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रुक गई। सूचना मिलने पर मौके पर गोविंद नगर और शहर कोतवाली पुलिस भी पहुंच गई। उन्होंने तीनों बहनों को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा था। बहनों के बीच संपति विवाद में 7 घंटे गुजर गए। इसके बाद रिश्तेदारों ने दखल दिया और तीनों बहनों के बीच संपति को लेकर बंटवारा करवाया।
बड़ी बहनों की मांग पर मौक़े पर स्टांप पेपर मंगवाया गया। इंस्पेक्टर रवि त्यागी के अनुसार चार बीघा ज़मीन में से मिथलेश डेढ़ बीघा ज़मीन को बेच चुकी है। अब केवल ढाई बीघा जमीन हूी बची है। समझौते में तय हुआ कि एक बीघा जमीन विधवा शशि को दी जाएगी। जबकि बाकी की ज़मीन में बराबर का बंटवारा सुनीता और मिथलेश के बीच किया जाएगा। समझौते पर साइन होने के बाद मां के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरा हो सका।