नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी आसाराम को कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए 30 जून तक अंतरिम जमानत दे दी है। 21 मार्च तक आसाराम को पहले से ही बेल मिल रखी थी, जिसके बाद जमानत अवधि खत्म होने पर उसने सरेंडर किया था। इसके बाद एक बार फिर से जोधपुर हाई कोर्ट में उसने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर जमानत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत की अवधि को 30 जून तक बढ़ा दिया है। राजस्थान हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सोमवार को इसको लेकर आदेश जारी किए। हालांकि पीड़िता की ओर से अंतरिम जमानत रद्द करने की अर्जी जस्टिस दिनेश मेहता एवं जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बेंच के सामने लगाई गई थी।
स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को गुजरात हाई कोर्ट भी राहत प्रदान कर चुका है। मेडिकल के आधार पर कोर्ट ने उसको अंतरिम जमानत दी थी, जिसे 30 जून तक बढ़ाने के आदेश दिए थे। 86 साल के आसाराम को 2013 के एक रेप मामले में 2023 में दोषी ठहराया गया था। इसके बाद आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आसाराम ने हाई कोर्ट में छह महीने की अस्थायी जमानत याचिका दायर की थी। आसाराम के वकील ने तर्क दिया था कि डॉक्टरों ने पंचकर्म थेरेपी कराने की सलाह दी है। इस इलाज की अवधि 90 दिन की होती है।
जोधपुर हाई कोर्ट में इस मामले के संदर्भ में 2 अप्रैल को भी सुनवाई की गई थी। उस दौरान जस्टिस दिनेश मेहता और विनीत कुमार माथुर की बेंच ने राहत देने से इनकार कर दिया था। फिलहाल एक निजी अस्पताल में आसाराम का इलाज जारी है। याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई को आगे बढ़ा दिया था।
आसाराम के प्रवचन के कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आ चुके हैं। इसे लेकर न्यायालय ने अपने आदेशों में कहा था कि यह निश्चित रूप से शीर्ष न्यायालय की शर्तों का उल्लंघन है। कोर्ट ने दोषी आसाराम के वकील से शपथ पत्र की मांग की थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी शर्त का उल्लंघन नहीं हुआ। इसके बाद ही मामले को 7 अप्रैल तक के लिए सूचीबद्ध किया गया था।