सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 को लेकर ये नहीं कहा जा सकता है कि यह संविधान में स्थायी है। दरअसल 2019 में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी। इसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 1957 से 2019 के बीच संवैधानिक आदेशों को देखा जाए तो यह पता चलता है कि आर्टिकल 370 लागू था, लेकिन इसके साथ ही राष्ट्रपति के पास यह अधिकार था कि वह जब चाहे इसे खत्म कर सकते हैं। कुछ शर्तों को पूरा करने पर इसके अस्तित्व को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस किशन कौल, संजीव खन्ना, भूषण आर गवई और सूर्यकांत ने कहा कि 1957 में जम्मू कश्मीर की संविधान सभा भंग होने के बाद आर्टिकल 370 अकेले ही अस्तित्व से बाहर नहीं किया जा सकता है जबकि इसके कुछ हिस्से 62 साल तक सक्रिय रहे।
रिफत आरा भट की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। रिफत आरा की ओर से कोर्ट में पैरवी करने के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे से सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा अगर आर्टिकल 370 ने अपने उद्देश्य को पूरा कर लिया होता तो संवैधानिक आदेश जारी करने की क्या जरूरत ही क्यों पड़ती।