आरजेडी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है, जहां शुक्रवार को 1995 के डबल मर्डर केस में उनको दोषी करार दिया गया। खास बात ये है कि इस केस में वो निचली अदालत और पटना हाईकोर्ट से बरी कर दिए गए थे।

प्रभुनाथ एक अन्य मर्डर केस में हजारीबाग जेल में बंद हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस को आदेश दिया कि वो 1 सितंबर को आरोपी को कोर्ट लेकर आए। उसी दिन सजा पर बहस की जाएगी।आरोप के मुताबिक 1995 के चुनाव में प्रभुनाथ सिंह मसरख के एक मतदान केंद्र पर गए थे। वहां पर उन्होंने 47 साल के दारोगा राय और 18 साल के राजेंद्र राय की हत्या कर दी, क्योंकि दोनों ने उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवार को वोट देने से इनकार कर दिया था।

मृतकों के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी, लेकिन कुछ दिनों बाद एक मृतक के भाई ने उन पर गवाहों को धमकाने का आरोप लगा दिया। साथ ही केस को ट्रांसफर करने की मांग की। इस वजह से केस का ट्रायल छपरा की जगह पटना में हुआ। हालांकि निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में उनको बरी कर दिया।

मृतक राजेंद्र राय के भाई हरेंद्र ने हार नहीं मानी, वो इस केस को लेकर हाईकोर्ट गए, लेकिन 2012 में फिर से उनको झटका लगा। पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही पाया और उनको बरी कर दिया। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

सर्वोच्च अदालत में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ ने सभी गवाहों और सबूतों को देखा। उन्होंने कहा कि ये सिद्ध करने के लिए सबूत हैं कि 1995 में आरोपी ने मतदान केंद्र पर दोनों लोगों की हत्या की थी। ऐसे में उनको दोषी करार दिया जाता है। उनकी सजा पर 1 सितंबर को सुनवाई होगी। जानकारों के मुताबिक उनको फांसी या फिर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। वहीं इस केस में 6 अन्य सह-अभियुक्तों को बरी भी किया गया।

प्रभुनाथ सिंह बिहार के कद्दावर नेता हैं। वो महाराजगंज लोकसभा सीट से तीन बार जेडीयू और एक बार आरजेडी के टिकट से सांसदी का चुनाव जीत चुके हैं।

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