आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि पिछले एक दशक में आयुर्वेदिक उत्पादों का टर्नओवर काफी अच्छा रहा है। ये बढ़कर 24 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। जबकि निर्यात भी तीन गुना बढ़ा है। कोटेचा के मुताबिक 2014 में ये 2.85 अरब डॉलर था तो वहीं 2024 में बढ़कर 24 अरब डॉलर पहुंच गया।

उन्होंने ‘वंदे आयुकॉन-2025’ कार्यक्रम की तुलना आयुर्वेद के ‘मिनी कुंभ’ से की। गुजरात आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड ने अहमदाबाद में ‘वंदे आयुकॉन-2025’ कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल भी मौजूद थे।

इस कार्यक्रम में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से 27,000 से अधिक आयुर्वेदाचार्यों ने हिस्सा लिया। अपने संबोधन के दौरान मंत्री पटेल ने इस बात पर जोर दिया कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि जीवन जीने का विज्ञान है। उन्होंने कहा, “हमारे रसोईघर में मसालों का डिब्बा आयुर्वेद का खजाना है। आयुर्वेद का इतिहास प्राचीन है और चिकित्सकों को ‘डॉक्टर’ के बजाय ‘वैद्य’ कहलाने पर गर्व होना चाहिए।”

आयुर्वेद के सार पर प्रकाश डालते हुए मंत्री पटेल ने कहा कि ‘आयु’ का अर्थ है जीवन और ‘वेद’ का अर्थ है विज्ञान। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद केवल बीमारियों को ठीक करने के लिए नहीं है, बल्कि बिना किसी दुष्प्रभाव के उपचार प्रदान करते हुए समग्र जीवनशैली का मार्गदर्शन करने के लिए है।

‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का हवाला देते हुए, मंत्री पटेल ने आयुर्वेद की तुलना एक पालनहार मां से की, और आयुर्वेदिक चिकित्सकों से विज्ञान में जनता का विश्वास बढ़ाने का आग्रह किया।

उन्होंने ज्ञान और कौशल दोनों को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ अनुसंधान के महत्व पर भी जोर दिया।

इस कार्यक्रम में शीर्ष आयुर्वेदिक चिकित्सकों को उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया गया और राज्य के 11 उत्कृष्ट क्लीनिकों को ‘सर्वश्रेष्ठ क्लिनिक-2025’ का खिताब दिया गया।

इसके अलावा, 500 डॉक्टरों को मुफ्त क्लिनिक ओपीडी सॉफ्टवेयर दिया गया।

इस कार्यक्रम में गुजरात आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा प्रणाली बोर्ड के अध्यक्ष संजय जीवराजानी, गुजरात आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति मुकुल पटेल, जयेश परमार, धर्मेंद्र गज्जर और बान लैब्स के मौलेश उकानी जैसी उल्लेखनीय हस्तियाँ मौजूद थीं।

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