आपसी सहमति से तलाक पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, ए.एस. ओका, विक्रम नाथ, और जे.के. माहेश्वरी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने माना कि पति पत्नी के बीच विवाह जब रिश्ते इतने बिगड़ जाएं कि उनका पटरी पर आना संभव न हो तब इस आधार पर विवाह विच्छेद संभव है। यह सार्वजनिक नीति के विशिष्ट या मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करेगा।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन में उन कारकों का जिक्र किया, जिनके आधार पर विवाह को अपरिवर्तनीय रूप से टूटा हुआ माना जा सकता है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन में रखरखाव, गुजारा भत्ता और बच्चों के अधिकारों के संबंध में भी जिक्र है।
दरअसल, संविधान बेंच के पास भेजे गए मामले में मूल मुद्दा यह था कि, क्या हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि को समाप्त किया जा सकता है? हालांकि, सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मुद्दे पर भी विचार करने का फैसला किया कि, क्या विवाहों को अपरिवर्तनीय टूटने के आधार पर भंग किया जा सकता है?