समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को 5 साल बाद अवैध खनन मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सम्मन भेजा। बृहस्पतिवार को अखिलेश यादव को पूछताछ के लिए बुलाया गया। लेकिन, वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए। हालांकि उन्होंने सीबीआई को पत्र के जरिए जवाब भेजा है। उन्होंने कहा, मैं जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हूं लेकिन अधिकारी लखनऊ आ जाएं। यह बात उन्होंने दिल्ली न जाने के बाद कही है। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई की टीम आज लखनऊ आकर अखिलेश यादव से पूछताछ कर सकती है।

जानकारी के मुताबिक, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज करने के 5 साल बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बृहस्पतिवार को पूछताछ के लिए एक गवाह के रूप में बुलाया है। अधिकारियों ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में एजेंसी ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था। इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति होती है। मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है।

बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। आरोप है कि 2012-16 के दौरान, जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोक सेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया। यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले। खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किए थे।

सीबीआई को जांच में सहयोग करने का आश्वासन देने के साथ सीबीआई के एक्शन पर सवाल भी उठाए हैं। कहा है कि इस मामले में 2019 में एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन बीते 5 साल में इस मामले में कोई जानकारी नहीं मांगी गई, अब अचानक लोकसभा चुनाव से पहले सीबीआई ने नोटिस भेजा है।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई आज लखनऊ पहुंचकर अखिलेश यादव से पूछताछ कर सकती है। सीबीआई ने अखिलेश यादव को बतौर गवाह बुलाया है, इसलिए वह लखनऊ में आकर सवाल-जवाब कर सकती है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज होना मुश्किल माना जा रहा है। जानकारी यह भी है कि सीबीआई 15 दिन बाद फिर से अखिलेश यादव को नोटिस देकर तलब कर सकती है।

 

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