भारतीय वायुसेना 4 सितंबर से चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर 11 दिवसीय व्यापक युद्धाभ्यास करेगी जिसमें सभी प्रमुख लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, हवा में ईंधन भरने वाले विमान और अन्य महत्वपूर्ण हवाई संसाधन शामिल होंगे। रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने यह जानकारी दी। ‘त्रिशूल’ नामक यह अभ्यास भारत और चीन की सेनाओं बीच तीन साल से अधिक समय से जारी गतिरोध और पाकिस्तान से संबंधों के लगातार प्रतिकूल रहने के बीच हो रहा है।

सूत्रों ने बताया कि वायुसेना की पश्चिमी कमान द्वारा 4 से 14 सितंबर तक किए जाने वाले इस अभ्यास का उद्देश्य बल की लड़ाकू क्षमताओं का परीक्षण करना है। उन्होंने कहा कि यह हाल के दिनों में वायुसेना द्वारा किए गए सबसे बड़े हवाई अभ्यासों में से एक होगा। इस संबंध में एक सूत्र ने यह भी कहा कि वायुसेना की पश्चिमी कमान के सभी प्रमुख मंचों के साथ-साथ अन्य कमान से संबंधित संसाधन भी अभ्यास के लिए तैनात किए जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि राफेल, Su-30 MKI, जगुआर, मिराज-2000, मिग-29 और मिग-21 बाइसन जैसे लड़ाकू विमान अभ्यास का हिस्सा होंगे।

उन्होंने कहा कि अभ्यास के लिए लड़ाकू हेलीकॉप्टर, बीच हवा में ईंधन भरने वाले विमान, हवाई चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली (AWACS) विमान और परिवहन बेड़े को भी इस युद्धाभ्यास में शामिल किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि अभ्यास में बड़े पैमाने पर लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड स्थित सीमावर्ती प्रतिष्ठानों को शामिल किया जाएगा। अभ्यास के अंत में वायुसेना मुख्यालय में इसके परिणाम की गहन पड़ताल की जाएगी। पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद भारतीय वायुसेना ने नए उपकरणों और अस्त्र प्रणालियों की खरीद सहित कई उपायों के जरिए अपनी क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

 

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