असम की हिमंता बिस्वा सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए मुस्लिम विवाह कानून को रद्द कर दिया है। इस घोषणा की जानकारी मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके दी। उन्होंने लिखा, “हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आज असम कैबिनेट की बैठक में हमने Assam Repealing Bill 2024 के माध्यम से असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है।” अब इसे विधानसभा में लाया जाएगा।

असम मुस्लिम मैरिज एंड डायवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1935 में लागू किया गया था, जिसमें मुसलमानों के निकाह और तलाक के पंजीकरण का प्रावधान था। 2010 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिसमें ‘स्वैच्छिक’ शब्द को बदलकर ‘अनिवार्य’ कर दिया गया। इस संशोधन के बाद, असम में मुसलमानों के लिए निकाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य हो गया।

इस कानून के तहत, किसी भी व्यक्ति को मुसलमान होने के कारण निकाह और तलाक के पंजीकरण के लिए राज्य से लाइसेंस प्राप्त करने का अधिकार दिया गया था। यह लाइसेंस केवल मुस्लिम रजिस्ट्रार द्वारा जारी किए जा सकते हैं, जो सरकारी कर्मचारी हो सकते हैं। अधिनियम में मुसलमानों के निकाह और तलाक से संबंधित आवेदन की प्रक्रिया और प्रावधानों का विस्तार से उल्लेख है।

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