दतिया। भांडेर रोड पर जेल मैदान पर चल रही शिव महापुराण कथा का सोमवार को विश्राम हुआ। कथा के पांचवे दिन भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। कथा विश्राम होने के बाद देर शाम इंद्रदेव ने भगवान पार्थिवेश्वर का जलाभिषेक कर सभी समस्याओं का हल एक लोटा जल को सिद्ध कर दिया।
पांचवे दिन कथा व्यास पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं से कहा कि हम वर्तमान में जिएं, हम आज जो जिंदगी जी रहे हैं उससे गोल्डन जिंदगी नहीं हो सकती उसको खुश होकर जियो। वर्तमान में जिएंं भविष्य की न सोचें। उन्होने युवाओं से कहा कि अपनी पहचान खुद बनाओ। इसके लिए कर्म और मेहनत करते रहो क्योंकि सफलता धीरे – धीरे मिलती है। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि वह जीवन को अपने जीवन को मंदिर के शिखर की तरह बनाएं। आप जितना ऊपर उठते जाएं उतना छोटा बनते जाएं। उन्होने कहा कि सफलता और असफलता ये दो अलग – अलग पहलू हैं। किसी को सफलता मिल जाती है किसी को सफलता नहीं मिल पाती और वो असफल हो जाता है। उन्होने कहा कि असफलता को मन तक नहीं ले जाना चाहिए और सफल व्यक्ति को अपनी सफलता को मस्तक तक लेकर अहंकारनहीं करना चाहिए। हमारे भीतर समर्पण का भाव आना चाहिए क्योंकि सफलता अहं की ओर ले जाती है। पंडित मिश्रा ने कहा कि भक्ति चि_ी की तरह होती है और चि_ी का जवाब जरूर आता है। भक्ति को मोबाइल और लैपटॉप जैसा न बनाएं कि तत्काल फल नहीं तो नंबर लॉक कर दिया।

सोमवार को कथा विश्राम के अवसर पर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण न होकर सिर्फ कथा होनी थी। लेकिन श्रावण मास का सोमवार होने की बजह से महिलाओं ने पार्थिव शिवलिंग बना कर पूजन किया। महिलाओं ने रात से ही शिवलिंग का निर्माण शुरू कर दिया था।

कथा पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ लेकिन दतिया में जेल का निर्माण आपके प्रवचनों के बाद हो रहा है। डॉ मिश्रा ने कहा कि जब आयोजन के लिए जेल मैदान का चयन किया गया तो सभी ने कहा कि इतनी दूर लोग कैसे आएंगे लेकिन मैने आज तक ऐसी आस्था नहीं देखी कि यह जगह भी कम पड़ गई। उन्होने कथा व्यास पंडित प्रदीप मिश्रा ने पुन: दतिया में आने का अनुरोध किया और आयोजन की व्यवस्था संभालने वाली सभी समितियों, कार्यकर्ताओं, शहरवासियों, बाहर से सभी श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया।

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