अतीक अहमद को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर देश छोड़ना चाहता था असद

अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर में नोएडा एसटीएफ की टीम का अहम रोल रहा है, जो दिल्ली से ही उसके पीछे लगी थी। वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेशपाल की हत्या के बाद असद पहले कानपुर आया था और फिर कानपुर से वह दिल्ली पहुंचा। वह यहां पर 19 दिन तक रहा। इस दौरान वह अपने पिता अतीक के पुराने और मजबूत साथियों को तलाश कर उनसे संपर्क करने का प्रयास कर रहा था।

मुंबई में कुछ लोगों से संपर्क होने के बाद असद और गुलाम ने बीसवें दिन दिल्ली को छोड़ दिया था और यहां से अजमेर होते हुए वे पहले मुंबई पहुंचे। मुंबई में कुछ दिन रुकने के बाद दोनों वहां से नासिक गए और वहां पर भी कुछ दिन रुके। इसके बाद फिर वे मुंबई पहुंचे थे। फिर मुंबई से कानपुर होते हुए असद और गुलाम झांसी तक पहुंचे थे।

एसटीएफ के सूत्रों की मानें तो पिता अतीक को पुलिस हिरासत से फरार कराकर विदेश ले जाने की चाह में ही असद नासिक और मुंबई तक पहुंचने के बाद भी एक बार फिर वापस उत्तर प्रदेश लौट आया था। उसकी योजना थी कि वह प्रयागराज से अहमदाबाद के रास्ते में पुलिस के काफिले पर हमला कर अपने पिता को पुलिस के चुंगल से आजाद कराता और बाप-बेटे इस देश को छोड़ जाते।

इसके लिए उसने मुंबई में भी अतीक के कुछ पुराने करीबियों से संपर्क किया था, लेकिन वह अपने मंसूबों को पूरा कर पाने से पहले ही एसटीएफ की गोलियां का निशाना बन गया।

एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार, होली के बाद संभावना व्यक्त की जाने लगी थी कि असद और उसके साथी दिल्ली-एनसीआर में हो सकते हैं। इस पर नोएडा एसटीएफ की टीम उनकी तलाश में लग गई और इसके बाद उन्हें इनपुट मिला कि दिल्ली में असद कुछ दिन रुका है। नोएडा एसटीएफ से मिले इनपुट के बाद दिल्ली पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर नोएडा एसटीएफ को सौंप दिया था। उनसे हुई पूछताछ के बाद ही अतीक के बहनोई के मेरठ स्थित घर पर शूटरों के पहुंचने और वहां से पैसा मिलने के संबंध में जानकारी मिली थी। इन आरोपियों से हुई पूछताछ के बाद ही नोएडा एसटीएफ असद के बारे में जानकारी जुटा सकी थी।

Verified by MonsterInsights