रयागराज। प्रयागराज पुलिस ने 15 अप्रैल को माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद सभी आपराधिक मामलों को बंद करने का फैसला किया है। जबकि अतीक अहमद के खिलाफ 102 मामले हैं और उनमें से केवल एक में दोषी ठहराया गया है, अशरफ अहमद 50 मामलों में आरोपी है। पिछले कुछ दशकों में माफिया ब्रदर्स के खिलाफ कई जिलों में मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन वे किसी तरह सजा से बच गए। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में स्थिति उनके खिलाफ हो गई। अब न सिर्फ अतीक बल्कि उसके गुर्गों और साथियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। उनके घरों को तोड़ दिया गया और गैंगस्टर एक्ट (Gangster Act) के तहत उनकी संपत्ति कुर्क कर दी गई।
मिली जानकारी के मुताबिक, इस साल फरवरी में उमेश पाल की हत्या के बाद, अतीक, उनके वकील खान सौलत हनीफ और गुर्गे दिनेश पासी को 2007 में उमेश के अपहरण के लिए दोषी ठहराया गया था। बाद में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि माफिया भाइयों की मौत के बाद उनके खिलाफ लंबित 150 मामले अब हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे। लंबित मामलों में जांच अधिकारी उन मामलों में अपनी मृत्यु रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे जिनमें आरोप पत्र अदालत में दायर किया गया है। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ मामले जारी रहेंगे।
गौरतलब है कि गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की 15 अप्रैल की रात पत्रकार बनकर आए हमलावरों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी, जब उन्हें प्रयागराज में मेडिकल जांच के लिए ले जाया जा रहा था। काफी नजदीक से गोली लगने से दोनों बदमाश मौके पर ही गिर पड़े थे। जिसके बाद तीनों हमलावरों- अरुण मौर्य, सनी सिंह और लवलेश तिवारी को जिला अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अतीक अहमद 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या और इस साल फरवरी में उस मामले के एक प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या का भी आरोपी था।