लखनऊ। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अगले सत्र से अपनी परीक्षाओं के लिये मदरसों के बजाय सिर्फ इंटर कॉलेजों को ही केंद्र बनाने पर विचार कर रहा है। जुलाई में सम्भावित बोर्ड की बैठक में इस पर अंतिम फैसला किया जाएगा।
मदरसा बोर्ड के सदस्य और परीक्षाओं की निगरानी के लिये राज्य मुख्यालय पर बनाये गये नियंत्रण कक्ष के प्रभारी कमर अली ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘बोर्ड अगले सत्र से अपनी परीक्षाओं के लिये मदरसों के बजाय सरकारी इंटर कॉलेजों को केंद्र बनाने पर विचार कर रहा है। जुलाई में सम्भावित बोर्ड बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अभी प्रायोगिक तौर पर कुछ इंटर कॉलेजों में केंद्र बनाये गये हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब तक मदरसों में ही परीक्षाएं होती रही हैं। अक्सर यह देखा जाता है कि मदरसों में इंटरनेट कनेक्टिविटी तथा अन्य व्यावहारिक दिक्कतें होती हैं और मदरसों के प्रधानाचार्य और प्रबंधक संसाधनों की कमी की दुहाई देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं जबकि सरकार परीक्षा केंद्र बनाने के लिये धन उपलब्ध कराती है। इंटर कॉलेजों में परीक्षा केंद्र बनने से वे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकेंगे। इससे नकल रहित परीक्षा कराने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य भी पूरा होगा।’’
अली ने बताया कि अगले सत्र से हर जिले के सभी परीक्षा केंद्रों को सम्बन्धित अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की निगरानी में बनने वाले नियंत्रण कक्ष से जोड़ा जाएगा। ये नियंत्रण कक्ष मदरसा बोर्ड के नियंत्रण कक्ष से जुड़े होंगे। हर मामले में जवाबदेही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की ही होगी।
उन्होंने कहा कि इस वक्त राज्य में 539 केंद्रों पर मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं। सभी केंद्रों पर एक साथ निगरानी कर पाना मुमकिन नहीं है। अगले साल से इसे मंडलवार किया जाएगा। इससे गड़बड़ियों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा।
अली ने बताया कि सोमवार को कन्नौज, अलीगढ़, आजमगढ़, मऊ, अम्बेडकर नगर, लखनऊ में परीक्षा केंद्रों पर कमियां पायी गयीं। इनमें परीक्षार्थियों के बैठने के इंतजाम सही नहीं थे और जिन लोगों की ड्यूटी लगी थी, वे उसे बखूबी नहीं निभा रहे थे।
गौरतलब है कि राज्य में इस वक्त 16531 मदरसे उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड में पंजीकृत हैं। उनमें से 558 को सरकारी अनुदान मिलता है।