पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। रालोद से गठबंधन के दौरान हरेंद्र मलिक के नाम को लेकर ही मतभेद हुए थे। रालोद की भाजपा से नजदीकियों के बीच ही हरेंद्र मलिक को पार्टी मुख्यालय बुलाया गया था। बता दें कि मलिक जिले के सबसे पुराने नेताओं में हैं। वह खतौली, बघरा से विधायक रहे। उनके बेटे पंकज मलिक वर्तमान में चरथावल से विधायक हैं।

पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक इससे पहले भी कैराना और मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी। कांग्रेस छोड़कर विधानसभा चुनाव 2022 से पहले समाजवादी पार्टी का हिस्सा बने।

उन्होंने अपने बेटे पंकज मलिक को चरथावल से टिकट दिलाकर और जीत दर्ज की। सपा में वह पश्चिम के जाट नेताओं के तौर पर जाने जाते हैं। सपा जिलाध्यक्ष जिया चौधरी ने बताया कि पिछले दिनों लखनऊ में हुई बैठक में ही मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के नाम पर सहमति बन गई थी।

पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने राजनीति की शुरूआत 1982 में बीडीसी के चुनाव से की थी। उनके भाई बघरा के ब्लॉक प्रमुख चुने गए। 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने उन्हें खतौली से टिकट दिया तो वह विधायक चुने गए। इसके बाद तीन बार बघरा से विधायक रहे।
इंडियन नेशनल लोकदल  से वह राज्यसभा सांसद रहे। पूर्व सांसद ने अपने बेटे पंकज मलिक को राजनीति में आगे बढ़ाया तो वह अब तीसरी बार विधायक बने हैं। इससे पहले वह शामली और बघरा से एक-एक बार विधायक रहे हैं। हरेंद्र मलिक जिले की राजनीति में सबसे कद्दावार राजनीतिक लोगों में गिना जाता है।

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