लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद एग्जिट पोल के आंकड़ों के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। अखिलेश ने कहा कि जितनी ऊंचाई पर उड़ती है पतंग, उतना ही बड़ा होता है उसका पतन।

अखिलेश ने कहा कि भाजपा ने सामाजिक रूप से देश में सौहार्द बिगाड़ा, भाईचारा खत्म किया, जाति के खिलाफ जाति, संप्रदाय के खिलाफ संप्रदाय को लड़वाया। संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण को साजिशन बंद करने के लिए छल किया।

पेपर लीक कराए। देश के लिए आगे बढ़कर लड़ने वाले बहन-बेटियों के खिलाफ अपने मंत्रियों से अपशब्द कहलवाए। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ाए। मणिपुर, हाथरस,महिला पहलवान, पिछड़े-दलित और आदिवासियों पर अत्याचार और सबसे खराब व्यवहार करने का रिकॉर्ड बनाया।

आर्थिक रूप से इलेक्टोरल बॉन्ड का ऐतिहासिक भ्रष्टाचार किया। इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से पैसा कमाने के लिए मुनाफाखोरी को बढ़ावा दिया। जिसने महंगाई को बढ़ाया। नोटबंदी से व्यापार-कारोबार चौपट कर दिया। भ्रष्ट जीएसटी से छोटे दुकानदार को मंदी का शिकार बना दिया।

35 सालों की सबसे बड़ी बेरोजगारी में देश को ढकेला है। अमीरों के लोन माफ किए, लेकिन किसानों को ऋण के लिए आत्महत्या के लिए मजबूर किया। बैंकों में तरह-तरह के चार्ज और पेनाल्टी से लोगों के खाते अंदर ही अंदर खा गए। बैंक लॉकर से अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। नैतिक रूप से चंदे का भी पैसा खा गए।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया। बिना जांच के लोगों को वैक्सीन लगवाई। कलेक्शन खाकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया। मनोवैज्ञानिक रूप से लोगों में बीमार होने का डर बैठा दिया। युवा बेरोजगारी के चलते अवसाद का शिकार हुआ।

पारिवारिक रूप में राजनीतिक फायदे के लिए भाई को भाई से लड़ा दिया। मानसिक रूप से भाजपा ने अपने समर्थकों को हिंसक बनाया। ऐसे लोगों को मंत्री पद दिया जो अपराधी हैं, जिन्होंने किसानों की हत्या की।

न्यायालय में भी इन लोगों ने पिछले दरवाजे से सेट किया। जजों से अपने पक्ष में बयान दिलवाए। यूनिवर्सिटी और कॉलेज में भी यही काम किया। योजना आयोग को खत्म किया। ईडी-सीबीआई से राजनीतिक दलों को धमकाने की कोशिश की।

विदेश में बैठे भारतीयों को अपमान झेलना पड़ा, विकास और रोजगार के झूठे आंकड़े देकर इन लोगों ने लोगों को ठगा है। लोकतांत्रिक रूप से इन लोगों जनतंत्र को मनतंत्र में बदलने का प्रयास किया। चुनाव के नतीजों को भ्रष्ट मीडिया कर्मियों के जरिए बदलने की कोशिश की।

जनता गांधी जी के सिद्धांत करो या मरो की राह पर चल रही है। देशप्रेमी 140 करोड़ लोगों के सामने ये संकीर्ण मानसिकता के लोग टिक नहीं सकते। देश के युवा फिर से कह रहे हैं कि मेरा रंग दे बसंती चोला।

 

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