पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिल गई है। फरवरी 2022 में अखिलेश यादव समेत जयंत चौधरी के खिलाफ नोएडा के दादरी थाने में आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ था। हाईकोर्ट ने इस आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। जिससे अखिलेश और जयंत चौधरी दोनों को एक बड़ी राहत मिल गई है।
बता दें कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी पर आरोप है कि इन्होंने वर्ष 2022 में आचार संहिता और कोविड नियमों का उल्लंघन किया। इनके खिलाफ ग्रेटर नोएडा के दादरी पुलिस थाना में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में आरोप पत्र और निचली अदालत में हुई संपूर्ण कार्यवाही को चुनौती देते हुए अखिलेश यादव और अन्य द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने आपराधिक मुकदमे पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार के वकील को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि तीन फरवरी, 2024 तय की गई।
अखिलेश यादव की याचिका में निचली अदालत में चल रही प्रोसिडिंग्स और चार्जशीट रद्द किए जाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद अखिलेश के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे पर 22 जनवरी तक के लिए रोक लग गई है। ग्रेटर नोएडा में पिछले साल दर्ज हुई एफआईआर के मामले में अखिलेश ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका दाखिल कर अखिलेश ने चार्जशीट को चुनौती दी थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चार्जशीट और आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधान चुनाव के आए नतीजों के बाद अब इंडिया गठबंधन में दरार पड़ने के आसार दिखाई पड़ रहे हैं। दरअसल, विपक्ष जिस चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल मान रहा था उस में उसे निराशा हाथ लगी है। हिन्दी भाषा के राज्यों में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिली है। करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडिया के सभी 28 घटक दलों की बैठक में बुलाई है। इस संबंध में उनकी अखिलेश यादव से भी बात हुई है। सपा सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में अखिलेश यादव हिस्सा नहीं लेंगे। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इंडिया गठबंधन में टूट हो पड़ सकती है। हालांकि पार्टी की तरफ से प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव शामिल होगें।