भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के नाम पर ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूर्व में भी देश की डिफाल्टर कंपनी नागार्जुन फर्टिलाईजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड को दिया, जो कि 1500 करोड़ रुपये न चुका पाने के कारण दिवालिया घोषित कर दी गई थी।

योजना से अगर ऐसी डिफाल्टर कंपिनियां और कॉरपोरेट कंपनियां फसल खरीद के नाम पर जुडेंगी तो इसका सीधा नुकसान देश के किसानों को होगा। बजट में पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई कटौती नहीं है। महंगाई कम करने की कोई बात नहीं है। महिला, गरीब, युवा, आदिवासी और किसान सिर्फ कागजों पर नजर आता है। नई संसद में पुराने ढर्रें पर पेश अंतरिम बजट केवल चुनावी ढकोसला है। यह देश के किसान, युवा, गरीब, आदिवासी के साथ धोखा है।

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