अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु दीपांकर महाराज बुधवार को मुजफ्फरनगर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में हिंदू समाज को जातियों में बांट कर कमजोर करने की साजिश चल रही है। वे अपनी भिक्षा में जनता से पहले राष्ट्र फिर कास्ट की भिक्षा मांगते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह पवन पुत्र हनुमान को उनकी ताकत याद दिलानी पड़ी थी, इसी तरह हिंदुओं को भी उनकी ताकत याद दिलानी पड़ रही है। कहा की हिंदू से बड़ी कोई जाति नहीं है और सनातन से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
मंगलवार देर शाम श्री पंचमुखी बालाजी सेवा संघ परिवार के तत्वावधान में आठवां भव्य वार्षिक उत्सव धूमधाम से मनाया गया। राजमंदिर बैंकट हॉल पहुंचे अंतरराष्ट्रीय ध्यानगुरु दीपांकर महाराज ने कहा कि उनकी यह यात्रा किसी धन-दौलत, यश-वैभव अथवा अन्य किसी कारण से नहीं है। वे भिक्षा यात्रा में हिंदू समाज से एक होने की भिक्षा मांग रहे हैं। आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि जिस प्रकार सरदार पटेल ने विभाजन के बाद पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो दिया था।
समय आ गया है कि हिंदू समाज भी उसी तरह एक सूत्र में हो जाए। दीपांकर महाराज ने कहा की जनगणना हिंदू समाज को बांटने की एक साजिश थी, जिसमें हिंदू समाज की जनसंख्या का वर्गीकरण कर बताया गया कि कितने दलित हैं, कितने पिछड़े हैं अथवा कितने सामान्य, जबकि मुस्लिम समाज के सभी फिरकों को केवल मुस्लिम के नाम से जाना जाता है।
आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि सिंधु में हिंदू मतलब केंद्र बिंदु। इसीलिए पहले राष्ट्र फिर कास्ट। हिंदू समाज को चाहिए कि जातियों में न बंटकर हिंदू रहें, एक रहें। दीपंकर महाराज ने कहा कि आज वह मुजफ्फरनगर में जनसमूह से पहले राष्ट्र, फिर कास्ट की भिक्षा मांगते हैं। उन्होंने मौजूद श्रद्धालुओं को शपथ ग्रहण भी कराई। लव जिहाद के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सब तभी हो रहा है, जब हम अलग-अलग जातियों में बंटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा का यह 303वां दिन है।