तमिलनाडु में भाषा को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आज एक बार फिर से केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया और कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो राज्य “एक और भाषा युद्ध के लिए तैयार” है। उनकी टिप्पणी केंद्र की तीन-भाषा नीति पर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है। स्टालिन ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित एक पत्र में कहा, ‘‘यही कारण है कि हम द्विभाषी नीति (तमिल और अंग्रेजी) का पालन कर रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि भारत के कई राज्यों ने नीति पर तमिलनाडु द्वारा निर्धारित मार्ग और उसके दृढ़ रुख को समझा है और उन्होंने अपनी चिंताएं व्यक्त करना शुरू कर दिया है।
एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने लगातार तीन-भाषा नीति का विरोध किया है। सत्तारूढ़ दल ने बार-बार 1965 के हिंदी विरोधी आंदोलन का हवाला दिया है, जिसके दौरान द्रविड़ आंदोलन ने हिंदी थोपने का सफलतापूर्वक विरोध किया था। हिंदी का वर्चस्व समाप्त नहीं होने तक इसके खिलाफ संघर्ष जारी रखने का आश्वासन देते हुए स्टालिन ने कहा, ‘‘हम एक आंदोलन के वंशज हैं, जिसमें एक सिद्धांतवादी सेना थी जिसने तमिल की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।’’ स्टालिन ने कहा कि 1965 से ही द्रमुक का अनेक बलिदान के माध्यम से हिंदी से मातृकी रक्षा करने का इतिहास रहा है।
स्टालिन ने कहा, ‘‘प्रभुत्व का विरोध करना और मातृकी रक्षा करना द्रमुक के सदस्यों के खून में समाया हुआ है। यह भावना मेरे जीवन के अंत तक कम नहीं होगी।’’ गत 21 और 22 फरवरी को कुड्डालोर की अपनी यात्रा को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभिभावक-शिक्षक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि राज्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को स्वीकार नहीं करेगा, भले ही केंद्र तमिलनाडु को 10,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश करे। इस पर कुड्डालोर की एक छोटी सी बच्ची नानमुखी ने कहा था, ‘‘क्या होगा अगर केंद्र सरकार धन उपलब्ध नहीं कराती है? तब मैं दे दूंगी।’’
इस बीच, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने स्टालिन की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए भाषा नीति के मामले में द्रमुक पर पाखंड का आरोप लगाया। एक्स पर एक पोस्ट में, अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि जहां स्टालिन किसी भी भाषा का विरोध नहीं करने का दावा करते हैं, वहीं तमिलनाडु में सरकारी स्कूल के छात्रों को सीबीएसई और मैट्रिकुलेशन निजी स्कूलों में अपने साथियों के विपरीत, तीसरी भाषा सीखने के अवसर से वंचित किया जाता है।
अन्नामलाई ने सवाल किया कि क्या स्टालिन यह कह रहे हैं कि तीसरी भाषा सीखने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन यदि आप इसे सीखना चाहते हैं, तो आपको अपने बच्चों को सीबीएसई या डीएमके सदस्यों द्वारा संचालित मैट्रिकुलेशन स्कूलों में दाखिला लेना चाहिए? उन्होंने आगे दावा किया कि द्रमुक के दोहरे मापदंड हैं। उन्होंने दावा किया कि अमीरों के लिए एक नियम और गरीबों के लिए दूसरा नियम। हिंदी थोपने का विरोध कर रहे द्रमुक कैडरों पर कटाक्ष करते हुए अन्नामलाई ने टिप्पणी की, “आपकी पार्टी के सदस्य, जो पेंट के डिब्बे लेकर घूम रहे हैं, ऐसा लगता है कि वे अपने बयान में हिंदी और अंग्रेजी के बीच अंतर स्पष्ट करना भूल गए हैं।”