जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने एनआईए की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराधों की गंभीरता और जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को देखते हुए प्रथम दृष्टया जमानत देने के आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता।
पीठ ने कहा कि बेल देने का आदेश अगर गलत है तो इसमें हस्तक्षेप किया जा सकता है।
पिछले साल अक्टूबर में मद्रास हाई कोर्ट ने आठ आरोपियों – बराकथुल्ला, एम.ए. अहमद इदरीस, मोहम्मद आबूथाहिर, खालिद मोहम्मद, सैयद इसाक, खाजा मोहिदीन, यासर अराफात और फैयाज अहमद को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट ने कहा था कि अब तक एकत्र किए गए साक्ष्य और दस्तावेज ये बताने के लिए काफी नहीं हैं कि आरोप सही हैं।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को चरमपंथी विचारधारा फैलाने वाला एक इस्लामी संगठन माना जाता है। केंद्र ने सितंबर 2022 में इसे बैन कर दिया था।