वाराणासी के ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी। इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग समेत परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक यह आदेश प्रभावी रहेगा। 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से परिसर में मौजूद संरचना की सही उम्र पता करने के लिए एएसआई को कार्बन डेटिंग का आदेश दिया था।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को गहन जांच की आवश्यकता है। अब जुलाई में फिर सुनवाई होगी।
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ज्ञानवापी में पाए गए शिवलिंग की उम्र का पता लगाने के लिए कोई वैकल्पिक तरीका है तो केंद्र और यूपी एएसआई के परामर्श से जांच करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार ने भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण को फिलहाल स्थगित करने की याचिका पर सहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच की जरूरत है। इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है।
ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अहमदी की याचिका और उनकी दलीलों पर संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए सुचीबद्ध किया था।
बता दें कि वाराणसी जिला न्यायालय ने पूर्व में कथित शिवलिंग का सर्वे कराने की याचिका को खारिज कर दिया था। इस पर 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला न्यायालय के आदेश को पलटते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग का आदेश दिया था।
साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को कहा था कि संरचना को बिना नुकसान पहुंचाएं सर्वे किया जाए। इसके लिए वाराणसी जिला न्यायालय को निर्देश जारी किए थे। इसके बाद मामले में हिंदू पक्ष की ओर से वाराणसी जिला न्यायालय में पूरे परिरस का ही सर्वेक्षण कराने की मांग करते हुए अर्जी लगाई गई हैं।