अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों की जांच को लेकर दाखिल याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में ऐसा कोई आधार नहीं है, जिसे देखते हुए अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज पर लगे आरोपों की जांच सेबी से वापस लेकर एसआईटी को दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि अदालत के पास सेबी के नियामक ढांचे में दखल देने के लिए अधिकार बहुत सीमित हैं। आपको बता दें कि जनवरी 2023 में अमेरिका बेस्ड शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट में गौतम अडानी पर मार्केट में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। इन आरोपों के बाद उन्हें करीब 60 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

इस मामले में पिछले साल नवंबर में सुनवाई पूरी हुई थी और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट को लेकर, बाजार नियामक सेबी को निर्देश दिया कि वो जांच करे कि क्या अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज की तरफ से सुरक्षा कानूनों को लेकर कोई उल्लंघन किया गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यों की एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन किया था।

इसके बाद सेबी के ऊपर भी अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जांच पूरी करने में देरी का आरोप लगाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं। याचिकाओं में मांग की गई, कि सुप्रीम कोर्ट के तरफ से जांच के लिए समयसीमा निर्धारित करने के बाद भी इसका पालन नहीं किया गया, इसलिए सेबी के ऊपर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चले।

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