कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शनिवार को घोषणा की कि उन्होंने राज्य में छात्रों और प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के छात्रों के लिए हिजाब पर प्रतिबंध हटाने के लिए कहा है क्योंकि कपड़े व्यक्तिगत पसंद का मामला है। सीएम का यह बयान बड़े विवाद को जन्म दे सकता है।
सीएम ने कहा, “पीएम मोदी का ‘सब का साथ, सबका विकास’ झूठा है। बीजेपी लोगों और समाज को कपड़े, पहनावे और जाति के आधार पर बांट रही है।”
सीएम ने कहा, “सभी हिजाब पहन सकते हैं और स्कूलों और कॉलेजों में जा सकते हैं। मैंने इस संबंध में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के पूर्व सरकार के फैसले को वापस लेने के लिए कहा है।”
सीएम सिद्दारमैया ने मैसूरू में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पहनावा और खान-पान आपकी चिंता का विषय है। मैं तुम्हें क्यों परेशान करूं? आप जो भी ड्रेस पहनना चाहें पहन लें। तुम जो चाहो खाओ। अपनी पसंद का खाना खाना आपका अधिकार है। मैं जो भी खाऊंगा वो मेरा अधिकार है।
मैं धोती और जुब्बा पहने हुए हूं। अगर आप पैंट पहनना चाहते हैं तो पहन सकते हैं। इसमें गलत क्या है? वोट के लिए राजनीति करना गलत है। हमारी सरकार गरीबों के लिए काम करेगी। इस संबंध में भटकने का कोई सवाल ही नहीं है। समझौते का कोई सवाल ही नहीं है। आपको उन लोगों के साथ नहीं खड़ा होना चाहिए जो झूठ बोलते हैं और धोखाधड़ी करते हैं।
पिछली भाजपा सरकार ने स्कूल के साथ-साथ प्री-यूनिवर्सिटी (कक्षा 11 और 12) कॉलेज की छात्राओं के हिजाब पहनने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। इस कदम पर छात्रों ने हाईकोर्ट में सवाल उठाया था और कोर्ट ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है।
इस मुद्दे ने राज्य भर में समाज, विशेषकर छात्रों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित कर दिया था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह खबर बनी थी। कांग्रेस ने घोषणा की थी कि वह सत्ता में आने पर हिजाब पर प्रतिबंध हटा देगी। सीएम सिद्दारमैया ने यह भी कहा कि अमीर और ताकतवर अभी भी बेखौफ होकर काम कर रहे हैं।
सीएम ने कहा कि वे इस भ्रम में हैं कि पैसे से पुलिस बल खरीदा जा सकता है और इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कानून-व्यवस्था अच्छी होने पर ही अर्थव्यवस्था विकसित हो सकती है। सभी अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि जनता हमारी मालिक है।
नागरिक अधिकारों की रक्षा करना पुलिस विभाग का कर्तव्य है। कानून तोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सीएम ने कहा कि पुलिस बल का सम्मान किया जाएगा, पुलिस स्टेशनों को लोगों के अनुकूल बनाया जाए और अधिकारी सभ्य भाषा का उपयोग करें।
उन्होंने सुझाव दिया कि यदि खुफिया विभाग सक्रिय हो तो अपराध होने से पहले ही रोका जा सकता है। पुलिस अधिकारियों की जानकारी के बिना कोई भी अवैध गतिविधि नहीं हो सकती। पुलिस को थाने में बैठकर लिखना नहीं चाहिए, बल्कि मौके पर जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ऐसे कार्यक्रमों की योजना बनाई है जिससे सभी जातियों और धर्मों के लोगों के साथ-साथ सभी पार्टियों को भी फायदा होगा।