लेबनान में इजरायली हमले में मंगलवार शाम को गुट के उप प्रमुख सालेह अल-अरौरी के मारे जाने के बाद हमास ने इजरायल के साथ युद्धविराम वार्ता पर रोक लगाने की घोषणा की है।

एक फिलिस्तीनी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी श‍िन्हुआ को बताया, “हमने कतर और मिस्र में भाइयों को बातचीत बंद होने की सूचना दे दी है।” कतर और मिस्र इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम की मध्यस्थता कर रहे हैं।

सूत्र ने कहा कि इजरायल के साथ युद्ध में फंसे हमास ने फिलिस्तीनी नेताओं के खिलाफ बढ़ती इजरायली आक्रामकता और “हत्या की योजनाओं” के बीच गाजा पट्टी में युद्धविराम तक पहुंचने की किसी भी बातचीत को खारिज कर दिया।

इससे पहले, हमास के एक सूत्र ने श‍िन्हुआ को बताया कि लेबनान की राजधानी बेरूत के दक्षिणी उपनगर में हमास कार्यालय को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हमले में हमास पोलित ब्यूरो के उप प्रमुख अल-अरौरी के कई सहयोगी भी मारे गए।

एक बयान में, हमास ने पुष्टि की कि उसके सात सदस्य इजरायली हमले में मारे गए। उसने इसे “बर्बर और जघन्य” आतंकवादी कृत्य, लेबनान की संप्रभुता का उल्लंघन और फिलिस्तीन और उसके लोगों के खिलाफ इजरायली हमले का विस्तार बताया।

लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह ने कहा कि यह लेबनानी लोगों, सुरक्षा और संप्रभुता पर एक गंभीर हमला था।

एक बयान में कहा गया, “यह अपराध जवाबी कार्रवाई और सजा के बिना कभी खत्म नहीं होगा।”

घटना पर इज़राइल की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई, लेकिन इज़राइली मीडिया ने वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि देश हमास या उसके ईरानी समर्थित सहयोगी हिजबुल्लाह की इजरायली शहरों पर जवाबी कार्रवाई के खिलाफ हाई अलर्ट पर है।

आईडीएफ के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, “आईडीएफ (इजरायल रक्षा बल) बहुत उच्च स्तर की तैयारी में है। हम किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार हैं।”

ईरान ने मंगलवार को बेरूत में ड्रोन हमले में अल-अरौरी और हमास की सशस्त्र शाखा अल-कसम ब्रिगेड के दो कमांडरों की हत्या करने के इजरायल के कदम की निंदा की।

लेबनान की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी (एनएनए) के अनुसार, लेबनान के प्रधान मंत्री नजीब मिकाती ने भी मंगलवार को बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में हुए इजरायली हमले की कड़ी निंदा की।

मिकाती ने एक बयान में कहा, “यह हमला एक नया इजरायली अपराध है, इसका उद्देश्य दक्षिण में रोजाना चल रहे हमलों के बाद लेबनान को अनिवार्य रूप से टकराव के एक नए चरण में खींचना है।”

57 वर्षीय अल-अरौरी को हमास के प्रमुख नेताओं में से एक माना जाता है, और वह वेस्ट बैंक में अल-कसम ब्रिगेड और उसके सेल के संस्थापक रहे हैं।

वह 18 साल से अधिक समय तक इज़राइल में कैद रहे और 2010 में उनकी आखिरी रिहाई पर इजरायली अधिकारियों ने उन्हें फिलिस्तीनी क्षेत्रों से निर्वासित कर दिया था। उसी वर्ष, उन्हें हमास पोलित ब्यूरो सदस्य के रूप में चुना गया था।

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