उज्जैन. 20 अप्रेल को इस साल का पहला सूर्यग्रहण पड़ने जा रहा है। सूर्यग्रहण हालांकि भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा, लेकिन खगोलीय और वैज्ञानिक दृष्टि से इसका बहुत महत्व है। यह सूर्यग्रहण अनुसंधान का केंद्र बनेगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण होगा। सूर्यग्रहण हाइब्रिड होगा अर्थात ग्रहण के अलग अलग स्तरों को इसमें देखा जा सकेगा।
भारतीय मानक समय के अनुसार सुबह 7.45 बजे से ग्रहण काल आरंभ होगा- जब चंद्रमा, सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य होता है, तब सूर्यग्रहण होता है। जीवाजी वेधशाला के अनुसार भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। भारतीय मानक समय के अनुसार सुबह 7.45 बजे से ग्रहण काल आरंभ होगा। इसकी पूर्णता की स्थिति सुबह 9.46 बजे होगी।
ग्रहण विदेशों में अलग अलग आकार में दिखाई देगा, जिसमें पहले कंकणाकृति, उसके बाद अर्ध सूर्यग्रहण की स्थिति में होगा- ग्रहण विदेशों में अलग अलग आकार में दिखाई देगा, जिसमें पहले कंकणाकृति, उसके बाद अर्ध सूर्यग्रहण की स्थिति में होगा। इसके बाद कंकणाकृति और अतिखग्रास की स्थिति में रहेगा। ग्रहण से सूर्य का 0.13 प्रतिशत हिस्सा ही ग्रसित हो रहा है।
दुनिया के कुछ स्थानों में दिन में ग्रहण की छाया के कारण हल्के अंधेरे जैसी स्थिति बनेगी- ग्रहण लंबी अवधि का होगा, जो साढ़े 5 घंटे तक दिखाई देगा। इसके कारण दुनिया के कुछ स्थानों में दिन में ग्रहण की छाया के कारण हल्के अंधेरे जैसी स्थिति बनेगी। यह सूर्यग्रहण हाइब्रिड होगा अर्थात ग्रहण के अलग अलग स्तरों को इसमें देखा जा सकेगा। पहले यह आंशिक रूप में उसके बाद रिंग आकार में और उसके बाद पूर्ण ग्रहण के रूप में देखा जा सकेगा।