सहारनपुर। जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र ने महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र पर चढ़ाए श्रद्धा के पुष्प ,वही डीएम ने महात्मा गांधी एवं शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर किया नमन गांधी जी और शास्त्री जी के सिद्धान्तों और विचारों को हम सभी अपने जीवन में करें आत्मसात।
जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र की अध्यक्षता में सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी जी की 154वीं एवं ईमानदारी व सादगी के प्रतिमूर्ति पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 119 वीं जयंती श्रद्धा, सम्मान एवं हर्षाेल्लास के वातावरण मे कलेक्ट्रेट में मनायी गयी।
कलेक्ट्रेट परिसर में जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र द्वारा प्रातः 08ः30 बजे ध्वज फहराने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्रों पर श्रध्दा के पुष्प एवं माल्यार्पण किया गया। इसके साथ ही अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) रजनीश कुमार मिश्र, अपर जिला अधिकारी (प्रशासन) डॉ0 अर्चना द्विवेदी मुख्य कोषाधिकारी सूरज कुमार, नगर मजिस्ट्रेट गजेन्द्र कुमार सहित अन्य सभी प्रशासनिक अधिकारीगणों व कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों एवं अन्य सम्भ्रान्त व्यक्तियों नें महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन करते हुये पुष्प अर्पित किया।
जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चन्द्र ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के सिद्धान्तों एवं आदर्शों के व्यहारिक पक्ष को आत्मसात करना ही उनके प्रति हम सबकी सच्ची श्रद्धांजली होगी। उन्होंने गांधी जी के अहिंसात्मक नेतृत्व शैली, विचारधारा, सत्यनिष्ठा, देशभक्ति एवं शास्त्री जी के आत्मबल, दृढ़ विश्वास, सहज, सरल स्वभाव और अदम्य साहस पर प्रकाश डालते हुये उपस्थित लोगों से इन महापुरुषों की जीवन शैली एवं कार्यशैली से सीख लेकर उसे अपनी आदत में शामिल करने हेतु प्रेरित किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि मन, वचन, कर्म और वाणी की स्वच्छता के माध्यम से ही सही व्यक्तित्व को जीवन में परिभाषित किया जा सकता है। उन्होंने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अपने दायित्वों को प्रसन्नता के साथ प्रतिबद्धता से पूर्ण करें। अपने घर, पडोस और कार्यालय को स्वच्छ रखने के साथ मन को भी स्वच्छ रखें। एक साफ सुथरे मन में ही अच्छे विचारों को जन्म होता है।
दिव्यांग कुलदीप पाल एवं उनके साथी गोंविद आर्य प्रभाकर के साथ जिलाधिकारी सहित सभी अधिकारीगण एवं अन्य लोगों ने रामधुन के साथ गॉधी जी का प्रिय भजन ‘‘रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीता राम’’ वैष्णव जन तै तेरे कहिए, पीर पराई जाने है.. गाया। जिलाधिकारी ने दोनों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर नेत्रहीन एवं विकलांग शिक्षण संस्थान के छात्रों शौर्य, चिंटू और पवन कुमार ने गीता श्लोक एवं साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल आादि गीत गाये। जिलाधिकारी ने इन छात्रों को भी अंगवस्त्र के साथ अन्य उपहार भी दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि देश, मानवता एवं समाज के हर वर्ग के सच्चे विकास के प्रति गांधीजी एवं शास्त्री जी की सोच को आज के परिवेश में वर्तमान सरकार के निर्देशन और मार्गदर्शन में विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से साकार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पंहुचाना और शासन की मंशा के अनुरूप समाज के अंतिम पायदान पर खड़े गरीब व्यक्ति का उत्थान करना और उसे शिक्षा, स्वास्थ्य एवं समाजिक विकास की मुख्य धारा से जोड़ना तथा महात्मा गॉधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के सपनों के भारत का निर्माण करने में सत्यनिष्ठा के साथ अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाजलि होगी।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रजनीश कुमार मिश्र ने महापुरूषों को नमन करते हुए कहा कि समय बीतने के साथ गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता बढती जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं भी गांधी जी एवं शास्त्री जी के सिद्धान्तों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है। अपर जिलाधिकारी प्रशासन डॉ0 अर्चना द्विवेदी ने स्वच्छता के चार आयाम मन की स्वच्छता, कर्म की स्वच्छता, पर्यावरण की स्वच्छता एवं वाणी की स्वच्छता पर प्रकाश डालते हुए इनको जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर उप जिलाधिकारी सदर मानवेन्द्र सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी मनीष कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक कुमार सहित कलेक्ट्रट के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन राजस्व सहायक सरवर सिद्दीकी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने गांधी जी एवं शास्त्री जी के कार्यों, सिद्धान्तों और उनकी सरल जीवन शैली पर विभिन्न तरीकों, संस्मरणों और उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुए अपने विचार व्यक्त किये। वक्ताओं ने महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के विचारों में अहिंसात्मक दृढ़ता, सादगीपूर्ण परन्तु महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व, उनका जीवन दर्शन आदि पर अपने विचार व्यक्त करते हुये वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता की आवश्यकता पर जोर दिया।

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