भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने वाली एलन मस्क की कंपनी Starlink को सरकार ने तो लाइसेंस दे दिया है, लेकिन साथ ही कड़ी शर्तें भी लगाईं हैं। कंपनी से नियमों का पूरी तरह पालन करने और सुरक्षा से जुड़ी जानकारी साझा करने की मांग की गई है। यदि Starlink सरकार के साथ सहयोग नहीं करता है, तो इसके लाइसेंस को रद्द करने की भी संभावना बनी हुई है।

सीमा क्षेत्रों में अवैध उपयोग का मामला
पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा एजेंसियों ने देश के उत्तर-पूर्वी इलाकों और अंडमान निकोबार में Starlink के उपकरण अवैध रूप से पाए हैं। सरकार ने बताया कि इन डिवाइसेज का सीमा क्षेत्र में गलत इस्तेमाल हो रहा है, जिससे सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। इस वजह से सरकार ने Starlink से स्पष्ट जवाब मांगा था।

कंपनी ने नहीं दिया पर्याप्त सहयोग
सरकार की मांग थी कि Starlink अपनी किट के मालिकाना और उपयोगकर्ताओं की पूरी जानकारी दे ताकि गलत इस्तेमाल पर नियंत्रण किया जा सके। लेकिन कंपनी ने अब तक इस मामले में पूरी पारदर्शिता नहीं दिखाई है। लाइसेंस मिलने के बाद भी Starlink को अब यह जानकारी साझा करना अनिवार्य होगा।

Starlink के लिए शर्तें और संभावित परिणाम
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि Starlink ने आवश्यक नियमों का पालन नहीं किया और सुरक्षा संबंधित जानकारी नहीं दी, तो कंपनी का लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है। यह कदम देश की सुरक्षा और इंटरनेट सेवा के सही इस्तेमाल के लिए जरूरी माना जा रहा है।

Starlink की सेवा कब शुरू होगी?
अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि भारत में Starlink की इंटरनेट सेवा कब शुरू होगी। कंपनी के उपकरणों में डिश, वाई-फाई राउटर, पावर केबल और माउंटिंग ट्रायपॉड शामिल होते हैं। लेकिन सुरक्षा और नियमों की जांच पूरी होने तक सेवा लॉन्च में देरी हो सकती है।

सरकार की नजर सुरक्षा पर
भारत सरकार सैटेलाइट इंटरनेट की सेवाओं को लेकर सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है। पिछले वर्षों में कई बार अवैध उपकरणों का उपयोग सीमा क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियां पैदा कर चुका है। इसलिए सरकार ने Starlink समेत सभी सैटेलाइट इंटरनेट प्रदाताओं से कड़ाई से नियम पालन और सहयोग की उम्मीद जताई है।

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