“आप अपनी बात से इस आवाम पर कुछ इस तरह एहसान करते हैं, आंखें तो छीन लेते हैं और चश्में का दान करते हैं।”
देश के सर्वोच्च सदन में घोसी की आवाज लगातार गूंज रही है। एक बार फिर घोसी से समाजवादी पार्टी के संसद राजीव राय ने अपने शायराना अंदाज में घोसी की समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया है।
देश के सर्वोच्च सदन में घोसी की आवाज लगातार गूंज रही है। एक बार फिर घोसी से समाजवादी पार्टी के संसद राजीव राय ने अपने शायराना अंदाज में घोसी की समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया है।
संसद में बजट सत्र पर चर्चा के दौरान राजीव राय ने घोसी की समस्या को बेहतरीन तरीके से उठाया है। बजट पर चर्चा करते हुए राजीव राय ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लग रहा था जैसे ये सिर्फ बिहार का बजट है। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल एरिया के साथ सौतेला व्यवहार करती है। पूर्वांचल ने इनका बोरिया बिस्तर बांध दिया है तो इन लोगों ने बजट में पूर्वांचल के लिए कोई प्रावधान नहीं किया। यही नहीं पिछले 11 सालों से इन्होंने घोसी लोकसभा को कुछ नहीं दिया है। हमारे घोसी और रसड़ा की तीन मिलें बंद हैं, परंतु इस पर सरकार का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है।
सांसद राजीव राय ने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि इन्होंने हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। परंतु उस रोजगार को उन्होंने न जाने किस बोरे में बंद कर किस खाई में फेंक दिया गया है जो दिखाई ही नहीं देता है। अपने शायराना अंदाज से राजीव राय ने सरकार पर खूब कटाक्ष भी किया। राजीव राय यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि सरकार हर साल नया बजट लाती है परंतु पुरानी बजट में जो फंड का प्रावधान था उस पर कभी चर्चा नहीं करती कि वो कहां खर्च होती है।
पूर्वांचल की अनदेखी का आरोप लगाते हुए सदन में राजीव राय ने कहा कि पूर्वोदय योजना से उन्होंने सिर्फ बिहार को जोड़ा है,परंतु पूर्वांचल को भूल गए। उन्होंने मांग की कि पूर्वांचल को भी पूर्वोदय योजना से जोड़ा जाए।
मऊ में बाढ़ की विभीषिका का बयान करते हुए उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को उचित मुवावजा दिया जाए। इसके साथ ही मऊ के बदहाल बुनकर, बेहाल किसान और बेरोजगार नौजवानों के लिए भी बजट में व्यवस्था की जाए।
उन्होंने मांग की कि यहां की बंद पड़ी मिलों को पुनः संचालित किया जाए जिससे यहां के बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। अगर इन मिलों के संचालन में तत्काल कोई समस्या हो तो यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था बना कर लोगों को रोजगार दिया जाए।
मऊ में बाढ़ की विभीषिका का बयान करते हुए उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को उचित मुवावजा दिया जाए। इसके साथ ही मऊ के बदहाल बुनकर, बेहाल किसान और बेरोजगार नौजवानों के लिए भी बजट में व्यवस्था की जाए।
उन्होंने मांग की कि यहां की बंद पड़ी मिलों को पुनः संचालित किया जाए जिससे यहां के बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। अगर इन मिलों के संचालन में तत्काल कोई समस्या हो तो यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था बना कर लोगों को रोजगार दिया जाए।