संसद का मानसून सत्र अब खत्म होने के करीब है। लेकिन मणिपुर हिंसा के मामले पर हंगामे के चलते संसद में अभी तक गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। लेकिन सरकार और विपक्ष के बीच अब बीच का रास्ता निकलने की उम्मीद नजर आ रही है। जिस तरह से दोनों सदनों के नेताओं ने अपना रुख जाहिर किया है उससे जल्द ही गतिरोध खत्म हो सकता है।
विपक्ष के नेताओं ने दोनों ही सदन में प्रधानमंत्री के मणिपुर मुद्दे पर बयान की मांग को खत्म कर दिया है, लेकिन वह चाहते हैं कि राज्यसभा में नियम 167 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा हो, साथ ही अंत में एक प्रस्ताव भी पास किया जाए।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सरकार और विपक्ष के बीत इसको लेकर चर्चा चल रही है। मणिपुर मुद्दे पर राज्यसभा में 11 अगस्त को चर्चा हो सकती है। गौर करने वाली बात है कि 11 अगस्त मानसून सत्र का आखिरी दिन है। केंद्रीय गृहमंत्री चर्चा के दौरान सवालों का जवाब दे सकते हैं।
गुरुवार को विपक्ष की ओर से सुझाव दिया गया था कि अगर एफिडेविट को स्वीकार किया जाता है तो नियम 167 के तहत चर्चा होनी चाहिए और सभापति की अनुमति से प्रस्ताव पास होना चाहिए, जिसमे बहस के बाद मंत्री का जवाब होना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार सरकार सुझाव को स्वीकार कर सकती है और गृहमंत्री अमित शाह जवाब दे सकते हैं। वह सत्र के आखिरी दिन भी विपक्ष के सवालों का जवाब दे सकते हैं। जब सरकार की ओर से विपक्ष को संपर्क साझा गया तो गुरुवार को दोनों ही पक्षों के बीच इसको लेकर चर्चा हुई है।
बैठक में सरकार और विपक्ष दोनों ही ओर से वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी, मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में हिस्सा लिया। जिसमे यह तय हुआ कि विपक्ष नियम 267 के तहत बहस की मांग नहीं करेगा और सुझाव दिया कि बहस नियम 167 के तहत हो और अंत में एक प्रस्ताव पास किया जाए।