मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वोट देना नागरिकों का कर्तव्य है लेकिन अदालतें उन्हें इसके लिए बाध्य नहीं कर सकतीं। चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती की बेंच ने एक जनहित याचिका (पीआइएल) का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका में एक विलक्षण मुद्दा उठाया गया है लेकिन इसके बारे में ऐसा कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है जिसके आधार पर अदालत इस तरह का आदेश पारित कर सके।
कोर्ट ने फैसले में कहा कि नागरिक को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135 बी के तहत मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश का अधिकार है। अवकाश के बावजूद नागरिक ने मतदान के मूल्यवान अधिकार का प्रयोग नहीं करने का फैसला किया है, तो उसे मजबूर नहीं कर सकते। यह नागरिक का कर्तव्य है लेकिन वे अनिवार्य रूप से वोट डालने के लिए किसी कानून से बंधा नहीं हैं।