हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट को लेकर बवाल मचा हुआ है और कर्मचारियों को वेतन व पैंशनरों को पैंशन नहीं मिली है। मामला आज विधानसभा सदन में प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने उठाया और कहा कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं, जिसके लिए कांग्रेस सरकार और कांग्रेस की गारंटियां सीधेतौर पर जिम्मेदार हैं। सरकार इसको लेकर स्थिति स्पष्ट करे। सीएम कभी कहते हैं आर्थिक संकट है और कभी कहते हैं नहीं है। सीएम को जानकारी ही नहीं है कि हो क्या रहा है। कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है और केंद्र पर निर्भर हो गई है। आने वाले दिनों में स्थिति और विकराल हो जाएगी।

वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट नहीं है। वित्तीय सुधारों व अनुशासन के लिए कर्मचारियों की सैलरी रोकी गई और इसको रोकने से सरकार ने कर्ज के ब्याज के 3 करोड़ रुपए बचाए हैं जो साल के 36 करोड़ बनते हैं। सरकार को कर्मचारियों के वेतन के लिए 1200 करोड़ और पैंशन के लिए 800 करोड़ रुपए चाहिए होते हैं, जिसके लिए कर्ज उठाना पड़ता है। कर्मचारियों को सैलरी 5 तारीख और पैंशनरों को पैंशन 10 तारीख को मिलेगी और अगले महीने से इसे 1 तारीख से देने की कोशिश करेंगे।

सीएम के बयान में अपने आप ही विरोधाभास दिख रहा है। एक तरफ सीएम 3 करोड़ हर महीने बचाने की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ कह रहे हैं कि अगले महीने से वेतन 1 तारीख को देंगे। अब सवाल यह है कि अगर इस महीने सैलरी के लिए पैसे नहीं हैं तो अगले महीने पैसे कहा से आएंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी माना कि चुनावों के वक्त राजनीतिक दल सत्ता के लिए फ्रीबीज की घोषणाएं करते हैं जोकि प्रदेश के हित में नहीं होती है और इस तरह के आर्थिक हालात पैदा हो जाते हैं।

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