नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक गैरसरकारी संस्थान जस्टिस न ट्रायल की मानहानि याचिका पर बीबीसी को समन जारी किया है। याचिका में दावा किया गया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ने भारत और इसकी न्यायपालिका के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने बीबीसी को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। गुजरात 2002 दंगे को लेकर बीबीसी ने डॉक्युमेंट्री बनाई थी, जिसके प्रसारण पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी थी।

एनजीओ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि बीबीसी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा उस डॉक्यूमेंट्री के संबंध में है, जिसने भारत और न्यायपालिका सहित पूरी प्रणाली को “बदनाम” किया है। वादी की ओर से यह तर्क दिया गया था कि डॉक्यूमेंट्री मानहानिकारक आरोप लगाता है और देश की प्रतिष्ठा पर कलंक लगाता है।

उच्च न्यायालय ने कहा, “प्रतिवादियों को सभी स्वीकार्य तरीकों से नोटिस जारी करें” और इसे 15 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

इससे पहले बीबीसी डाक्यूमेंट्री के संबंध में दायर मानहानि याचिका की सुनवाई करते हुए रोहिणी कोर्ट ने बुधवार को बीबीसी को समन जारी किया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रुचिका सिंगला ने विकिमीडिया फाउंडेशन (जो विकिपीडिया को फंड करती है) और यूएस स्थित डिजिटल लाइब्रेरी को भी समन जारी किया। इस मामले में कोर्ट ने बीबीसी को 30 दिन के अंदर लिखित में बयान दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

यह याचिका झारखंड भाजपा की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) व विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सक्रिय स्वयंसेवक बिनय कुमार सिंह ने अपने अधिवक्ता मुकेश शर्मा के माध्यम से रोहिणी कोर्ट में दायर की गई।

बता दें कि बीबीसी द्वारा बनाई यह डॉक्यूमेंट्री साल 2002 में गुजरात में हुए दंगे पर बेस्ड है, जो तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। वहीं, डॉक्यूमेंट्री का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री में गलत तरीके से तथ्यों को पेश किया गया है जो पूरी तरह से गलत है। इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर भी रोक लगाई थी।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights