वक्फ विधेयक को लेकर सियासत जारा है। संयुक्त संसदीय समिति में भी वाद-विवाद देखने को मिल रहा है। इन सबके बीच विपक्षी सांसदों ने सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। विपक्षी सांसदों ने चेतावनी देते हुए कहा कि वे वक्फ विधेयक में बदलावों का अध्ययन करने वाली संयुक्त संसदीय समिति से खुद को अलग कर सकते हैं। सांसदों ने समिति के अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी के जगदम्बिका पाल पर बैठक की तारीखों और परामर्श के लिए बुलाने के संबंध में एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगाया, और उनके कार्यों को विरोध को कम करने और वक्फ (संशोधन) विधेयक को पारित करने का एक सशक्त तरीका बताया।
विपक्षी सांसदों ने कहा कि अगर कानून में बदलाव के बारे में चिंताएं पेश करने के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया तो वे चले जाएंगे। समिति की कार्यवाइयों में उनको अनसुना किया गया तथा ऐसे में वे इस समिति से खुद को अलग करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना था कि वे मंगलवार को बिरला से मिलकर उन्हें शिकायतों से अवगत करा सकते हैं। द्रमुक सांसद ए राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी सहित विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष के नाम यह संयुक्त पत्र लिखा है।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अनुभवी सांसद पाल पर आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष ने बैठकों की तारीखें तय करने और कभी-कभी लगातार तीन दिनों तक बैठकें आयोजित करने और समिति के समक्ष किसे बुलाया जाए, यह तय करने में ‘‘एकतरफा निर्णय’’ लिया है। उन्होंने कहा कि सांसदों के लिए बिना तैयारी के बातचीत करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि समिति को उचित प्रक्रिया की अनदेखी करते हुए प्रस्तावित कानून को सरकार की इच्छानुसार पारित कराने के माध्यम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।