कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर जर्मनी के बयान पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने धन्यवाद दिया, लेकिन पूर्व कांग्रेसी कपिल सिब्बल को यह रास नहीं आई। उन्होंने अपने पुराने सहयोगी को नसीहत भी दी है। सिब्बल ने कहा, “हमें विदेश से समर्थन की जरूरत नहीं है। हमारी लड़ाई हमारी अपनी है और इसमें हम सभी साथ हैं।”
आपको बता दें कि निर्मला सीतारमण, किरेन रिजिजू और अनुराग ठाकुर सहित कई मंत्रियों ने दिग्विजय सिंह के बयान की कड़ी आलोचना की है। साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस विदेश से समर्थन चाहती है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर खुद को दिग्विजय सिंह की टिप्पणी से दूर कर लिया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संस्थाओं पर हमले एवं उनकी डराने-धमकाने की राजनीति से देश के लोकतंत्र के समक्ष जो ख़तरे उत्पन्न हुए हैं,’ उनसे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को स्वयं ही निपटना होगा। रमेश ने ट्वीट किया, ”कांग्रेस का स्पष्ट तौर पर मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संस्थाओं पर हमले एवं उनकी डराने धमकाने की राजनीति से हमारे लोकतंत्र के समक्ष जो ख़तरे उत्पन्न हुए हैं, उनसे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को स्वयं ही निपटना होगा। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां निडरता से उनका मुक़ाबला करेंगी।’
जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा था, ”हमने भारत में विपक्षी नेता राहुल गाधी के खिलाफ फैसले और उनकी संसदीय सदस्यता निलंबित किए जाने का संज्ञान लिया है। हमारी जानकारी के मुताबिक, गांधी फैसले को चुनौती दे सकते हैं। तब यह स्पष्ट होगा कि क्या यह फैसला टिक पाएगा और क्या निलंबन का कोई आधार है?” प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी को उम्मीद है कि ‘न्यायिक स्वतंत्रता के मानक और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत’ समान रूप से राहुल गांधी के खिलाफ कार्यवाही पर लागू होंगे।
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, ”राहुल गांधी को परेशान करके भारत में लोकतंत्र से समझौता किया जा रहा है और इसका संज्ञान लेने के लिए जर्मनी के विदेश मंत्रालय तथा डॉयचे वैले के मुख्य अंतरराष्ट्रीय संपादक रिचर्ड वाकर का शुक्रिया।” दिग्वियज सिंह ने वाकर का एक ट्वीट टैग किया जिसमें राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता से अयोग्यता पर प्रतिक्रिया देते हुए जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का एक वीडियो है।