विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि मणिपुर में पर्याप्त कानून-व्यवस्था लागू है तथा राज्य और केंद्र सरकार ऐसा रास्ता खोजने का प्रयास कर रही हैं जिससे कि हालात पटरी पर लौटें।
मंगलवार को विदेश संबंध परिषद में भारत में पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की स्थिति पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘…मुझे लगता है कि मणिपुर समस्या का असर यहां आए प्रवासियों पर भी पड़ रहा है जो इससे अस्थिर हैं।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन तनाव की स्थिति भी है जिनका लंबा इतिहास रहा है और वह लंबे समय से बनी हुई है। आज मुझे लगता है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से एक ऐसा रास्ता खोजने का प्रयास किया जा रहा है जिससे सामान्य स्थिति तथा भाईचारे की भावना वापस आए। वहां हथियार बरामद किए गए हैं। वहां पर्याप्त कानून-व्यवस्था लागू है ताकि हिंसा की घटनाएं न हों।’
इस महीने की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा था कि वे मणिपुर में महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाकर की गई हिंसा की रिपोर्ट और तस्वीरों से ‘‘स्तब्ध’’ हैं और उन्होंने भारत सरकार से घटनाओं की जांच करने और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
विशेषज्ञों ने मणिपुर में कथित यौन हिंसा, गैर-न्यायिक हत्याएं, मकानों में तोड़ फोड़ करने, जबरन विस्थापन, यातना और दुर्व्यवहार के कृत्यों सहित गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन एवं दुर्व्यवहार की रिपोर्ट पर चिंता जताई थी।
भारत ने इन टिप्पणियों को ‘‘अनुचित, अनुमान से प्रेरित और भ्रामक’’ बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि राज्य में स्थिति शांतिपूर्ण है।
जयशंकर से जब विशेषज्ञों की इन टिप्पणियों को ‘‘अनुमान से प्रेरित’’ बताए जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘यह टिप्पणी मैंने व्यक्तिगत रूप से नहीं की थीं बल्कि प्रवक्ता ने की थी। अगर आप ये पूछ रहे हैं कि क्या वह टिप्पणी सही थी? तो आपके लिए मेरा उत्तर ‘हां’ होगा।’’
मंत्री से स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट और अमेरिकी सरकार द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट के बारे में भी पूछा गया था, जिसने स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मुद्दे पर भारत की आलोचना की थी।
जयशंकर ने इसे दोनों संगठनों का ‘‘पाखंड’’ करार दिया और उनकी आलोचना करते हुए उन्हें ‘‘दुनिया का स्व-नियुक्त संरक्षक’’ बताया, जिनके लिए यह पचा पाना बहुत मुश्किल है कि भारत में कोई उनकी मंजूरी नहीं चाहता है।
सीएफआर कार्यक्रम में इस पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट है कि जो लोग इस तरह की रिपोर्ट को लिखते हैं वे पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं। अक्सर वे तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। इनमें से कई रिपोर्ट वास्तव में अशुद्धियों से भरी होती हैं।’’