लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन परिसर में 18वीं लोकसभा लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसदों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि अध्यक्ष विचारधारा अथवा दल के आधार पर कार्य नहीं करते।
उन्होंने कहा कि सदन के अंदर सांसदों को नियमों और प्रक्रियाओं के तहत शालीनता से अपनी बात रखनी चाहिए। वास्तव में अध्यक्ष सभी सदस्यों के अधिकारों के संरक्षक होते हैं।
उन्होंने नए सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपनी सुविधाओं और सदन के कामकाज के बारे में अपने सुझाव दें, इससे उनके लिए अधिक प्रभावी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
उन्होंने 18वीं लोक सभा में पहली बार निर्वाचित होकर आए 280 सांसदों की संख्या पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि नए सदस्यों के नए विचार लोकसभा के कार्य में अधिक गुणवत्ता लाएंगे।
बिरला ने बताया कि अध्यक्ष पद के उनके कार्यकाल में नवनिर्वाचित सांसदों को प्रोत्साहित करने हेतु कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि नए सदस्यों के लिए यह अति आवश्यक है कि वे सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा को और बढ़ाने के लिए कार्य करें।
उन्होंने कहा कि सदन के अंदर और सदन के बाहर सांसदों का आचरण सदैव उच्च कोटि का हो और अध्यक्ष पीठ के निर्देशों के अनुकूल हो। उन्होंने नवनिर्वाचित सांसदों को सुझाव दिया कि सदन के अंदर वे अपनी बात, नियमों और प्रक्रियाओं के तहत शालीनता से रखें और अपने साथी सदस्यों का उचित सम्मान करें।
उन्होंने सांसदों को प्रोसीजरल डिवाइस – प्रश्न काल, शून्य काल, कॉलिंग अटेंशन – जैसे संसदीय प्रक्रियाओं का कुशलतापूर्ण उपयोग करने का भी सुझाव दिया। सदन के अंदर-बाहर सांसदों के आचरण को उच्च कोटि का रखने पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि सदन के भीतर और बाहर जनता अपने जनप्रतिनिधियों के व्यवहार, कथन और आचरण का ध्यान रखती है।
सदन में चर्चा के दौरान सांसद विषय का गंभीर अध्ययन करें और अपनी बात को संक्षेप में रखें। वे ज्यादा से ज्यादा सदन में बैठें और अपने वरिष्ठ साथियों से सीखने का प्रयास करें। सांसद, सदन में जनता की आशाओं-आकांक्षाओं को तभी पूरा कर सकते हैं, जब उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी हो।
उन्होंने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम का उद्देश्य सभी नव-निर्वाचित सदस्यों को संसदीय कार्यकरण से संबंधित संसाधनों, सुविधाओं और प्रणाली की जानकारी देने का है। प्रबोधन कार्यक्रम के अंतर्गत संसदीय प्रणाली के कार्यकरण से जुड़े सभी पहलुओं, रीतियों और पद्धतियों की जानकारी देने के साथ-साथ सांसदों को कार्य संचालन के नियमों आदि से भी अवगत कराया जाएगा, इससे उनको अपने दायित्वों के निर्वहन में सुविधा होगी।
उन्होंने सांसदों को उनके लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी देते हुए यह भी बताया कि सांसदों के उपयोग हेतु संसद की एक अत्यंत समृद्ध लाइब्रेरी है, जहां उन्हें संविधान सभा की डिबेट समेत, स्वतंत्रता से अभी तक संसद में पारित कानूनों की डिबेट और समितियों की रिपोर्ट मिलेगी।
उन्होंने सभी सांसदों को पुस्तकालय के उचित उपयोग का सुझाव दिया और समसामयिक घटनाओं और विषयों पर गहन अध्ययन करने पर बल दिया।
उन्होंने सदस्यों को सुझाव दिया कि वे रिसर्च नोट और संदर्भ सेवा के साथ डिजिटल संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग करें।
आपको बता दें कि, नवनिर्वाचित सांसदों के लिए प्राइड द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम में सदन में मामले उठाने के लिए संसदीय प्रश्न और प्रक्रियात्मक उपकरण, संसद टीवी की पहल, डिजिटल संसद, संसद सदस्यों और साइबर सुरक्षा के लिए ऑनलाइन एवं डिजिटल सुविधाएं, संसद सदस्यों के लिए सहायता सेवाएं, संसदीय पुस्तकालय, ई-सपोर्ट एवं प्रिज्म, संसद में समिति प्रणाली, संसदीय विशेषाधिकार, संसद सदस्यों के लिए सुविधाएं, संसद सुरक्षा और संबंधित जानकारी और एक प्रभावी सांसद कैसे बनें जैसे विषयों पर सत्रों का आयोजन किया जाना है।