आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने वाले और अभ्यास करने वाले 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को स्थानांतरित कर दिया है। 1 फरवरी को जारी टीटीडी के कार्यकारी आदेश के अनुसार, छह कर्मचारी विभिन्न टीटीडी शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक हैं। अन्य में एक उप कार्यकारी अधिकारी (कल्याण), एक सहायक कार्यकारी अधिकारी, एक सहायक तकनीकी अधिकारी (इलेक्ट्रिकल), एक छात्रावास कार्यकर्ता, दो इलेक्ट्रीशियन और दो नर्स शामिल हैं।

इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को लेकर सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा कि यह बात टीडीपी नेता नारा चंद्रबाबू नायडू को सोचने की जरूरत है। संयुक्त कार्य समिति में उनकी पार्टी राज्य वक्फ बोर्ड में न्यूनतम 2 गैर-मुस्लिमों और केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने के लिए भाजपा द्वारा लाए गए विधेयक का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि टीटीडी में कोई गैर-हिंदू बोर्ड का सदस्य, ट्रस्टी या कर्मचारी नहीं हो सकता। उसी का अनुसरण यहां भी किया जाना चाहिए।

औवेसी ने आगे कहा कि चंद्रबाबू नायडू बीजेपी का समर्थन क्यों कर रहे हैं? अगर टीटीडी में गैर-हिंदू का होना गलत है, तो क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का होना गलत नहीं है? आपको बता दें कि जून 2024 में सत्ता में आने के बाद से तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और उसके सहयोगियों जन सेना पार्टी (जेएसपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य में आक्रामक हिंदुत्व समर्थक रुख अपनाया है। 18 कर्मचारियों पर दंड लगाने वाले ज्ञापन में 1989 के सरकारी आदेश, जीओ एमएस नंबर 1060 राजस्व (एंडॉमेंट्स -1) का संदर्भ दिया गया, जो टीटीडी के सेवा नियमों को बताता है। इसने नियम 9 (vi) का हवाला दिया, जो कहता है कि केवल “हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्तियों” को टीटीडी द्वारा भर्ती किया जाएगा। यह नियम 2007 में ही जोड़ा गया था।

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