पांच साल पहले दुनिया को हिला देने वाला कोरोना वायरस एक बार फिर सिर उठाने लगा है। वर्क फ्रॉम होम, मास्क, लॉकडाउन और खाली सड़कों की यादें अब भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। ऐसे में जब Covid-19 के नए वेरिएंट JN.1 की खबरें सामने आईं, तो स्वाभाविक है कि चिंता की लहर फैल गई। क्या फिर से वही हालात लौटने वाले हैं? क्या मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइज़र हमारी जिंदगी का हिस्सा बनेंगे? आइए जानते हैं इस नए खतरे से जुड़ी हर ज़रूरी जानकारी।

  क्या है JN.1 वेरिएंट?
JN.1, कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन परिवार का एक सब-वेरिएंट है, जिसे पहली बार अगस्त 2023 में पहचाना गया था। यह वेरिएंट BA.2.86 से जुड़ा है और वैज्ञानिकों के मुताबिक इसमें तेजी से म्यूटेशन हो रहे हैं, जिससे इसका ट्रांसमिशन रेट भी अधिक है। यानी यह वेरिएंट पहले की तुलना में तेजी से फैल सकता है।

 क्या हैं इसके लक्षण?
अमेरिकी संस्था CDC के अनुसार, JN.1 के लक्षण बाकी वेरिएंट्स से बहुत अलग नहीं हैं, लेकिन यह तेज फैलाव के लिए ज्यादा चर्चित है। लक्षणों में शामिल हैं:

बहती नाक
सूखी खांसी
बुखार
गले में खराश
सिरदर्द
उल्टी या मिचली
दस्त
ठंड लगना

 भारत में कितना खतरा?
फिलहाल भारत में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सतर्कता ज़रूरी है। जनवरी 2024 में दिल्ली में JN.1 का एक मामला सामने आया था, लेकिन पिछले दो दिनों में 257 नए केस और दो मौतों ने चिंता बढ़ा दी है। अच्छी बात यह है कि भारत की बड़ी आबादी को वैक्सीन लग चुकी है, और पहले ओमिक्रॉन के संपर्क में आने से इम्युनिटी बेहतर हुई है। इसलिए इसका प्रभाव अभी गंभीर नहीं दिख रहा है।

  एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
AIIMS दिल्ली के एक विशेषज्ञ के अनुसार, यह नया वेरिएंट ओमिक्रॉन के LF.7 और NB.1.8 जैसे सब-वेरिएंट्स से जुड़ा है। हालांकि इसके लक्षण अब तक हल्के ही नजर आए हैं। उनका कहना है कि यह हर साल की तरह मौसमी इन्फ्लूएंजा की तरह उभरता है और फिर चला जाता है। उनकी ओपीडी में कई मरीज गले में खराश, सर्दी, जुकाम और बुखार की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में इन्फ्लूएंजा-बी का संक्रमण पाया गया है, न कि कोरोना।

 क्या करना चाहिए? 
भीड़-भाड़ से बचें
मास्क पहनें
नियमित हाथ धोएं या सेनिटाइज़र इस्तेमाल करें
लक्षण दिखने पर तुरंत आइसोलेशन करें
बुजुर्ग और कम इम्यूनिटी वाले सतर्क रहें

 बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले रहें सतर्क
नया वेरिएंट हर उम्र को प्रभावित कर सकता है, लेकिन हांगकांग और थाईलैंड से आ रही रिपोर्ट्स बताती हैं कि सबसे अधिक मौतें बुजुर्गों में दर्ज की गई हैं। जो लोग बूस्टर डोज़ नहीं ले पाए हैं, उनके लिए भी खतरा अधिक है।

 क्या फिर से लॉकडाउन लग सकता है?
विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल लॉकडाउन जैसी सख्त पाबंदियों की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता बेहद ज़रूरी है। जिन लोगों को वैक्सीन और बूस्टर डोज़ लग चुके हैं, उनके लिए यह वायरस गंभीर खतरा नहीं बन रहा।

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