लैंगिक समानता के मामले में भारत 8 पायदान चढक़र 146 देशों में 127वें स्थान पर पहुंच गया है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2023 के अनुसार पिछली बार से भारत की स्थिति में 1.4 प्रतिशत अंकों का सुधार हुआ। भारत 2022 में 135वें स्थान पर था। आइसलैंड लगातार 14वें साल दुनिया का सबसे अधिक लैंगिक समानता वाला देश बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने 64.3 प्रतिशत लैंगिक अंतर कम किया है। हालांकि आर्थिक सहभागिता और अवसर को लेकर सिर्फ 36.7 प्रतिशत अंतर कम हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिलाओं के वेतन और आय के मामले में थोड़ी वृद्धि हुई है, वहीं वरिष्ठ पदों और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी थोड़ी कम हुई है। राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में भारत ने 25.3 प्रतिशत समानता हासिल की है। भारत में महिला सांसदों की संख्या 15.1 प्रतिशत है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में जन्म के समय लिंगानुपात में 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया क्षेत्र में लैंगिक समानता का आंकड़ा 63.4 प्रतिशत है। यह दुनिया के आठ क्षेत्रों में दूसरी सबसे कम लैंगिक समानता है। इसमें पिछले साल की तुलना में 1.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह सुधार भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे अधिक आबादी वाले देशों के आंकड़ों में वृद्धि के कारण हुआ है।