इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ‘आदिपुरुष’ के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला को फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका में प्रतिवादी के रूप में शामिल करने के आवेदन को अनुमति दे दी। इसके अलावा कोर्ट ने मुंतशिर शुक्ला को भी नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा है कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 के तहत क्या कार्रवाई की जा सकती है। अब इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इससे पहले सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सेंसर बोर्ड और आदिपुरुष के निर्माताओं को कड़ी फटकार लगाई थी। ‘आदिपुरुष’ में कुछ विवादास्पद संवादों के बारे में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि सेंसर बोर्ड क्या करता रहता है? आप आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हैं? कोर्ट ने सुनवाई के दौरान निर्माता, निर्देशक और अन्य पक्षों की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए। याचिका वकील कुलदीप तिवारी ने दायर की है।

आपको बता दें कि ओम राउत द्वारा निर्देशित, ‘आदिपुरुष’, जो महाकाव्य रामायण का रूपांतरण है कि रिलीज के बाद भारी आलोचना हुई है। आलोचकों से लेकर समीक्षकों तक कई लोगों ने फिल्म के कुछ संवादों पर संदेह व्यक्त किया। जिन डायलॉग्स को लेकर निर्माताओं की आलोचना हुई है। उनमें ‘मरेगा बेटे’, ‘बुआ का बगीचा हैं क्या’ और ‘जलेगी तेरे बाप की’ शामिल हैं। फिल्म में प्रभास भगवान राम, कृति देवी सीता, सनी सिंह लक्ष्मण और सैफ अली खान रावण की भूमिका में हैं। ऑनलाइन आक्रोश और नकारात्मक समीक्षाओं के बावजूद, ‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं ने संवादों को नया रूप दिया।

 

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