इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों में से कोई भी नाबालिग हो तो लिव इन रिलेशनशिप मान्य नहीं है। कोर्ट ने कहा ऐसे मामले में संरक्षण नहीं दिया जा सकता है। अगर संरक्षण दिया गया तो यह कानून और समाज के खिलाफ होगा। कोर्ट ने कहा केवल दो बालिग जोड़े ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। कोर्ट ने कहा दो बालिग साथ हैं तो लिव इन अपराध नहीं माना जायेगा। कोर्ट ने कहा चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नाबालिग से लिव इन अपराध है चाहे पुरुष हो या स्त्री।

यह पूछे जाने पर कि बालिग महिला का नाबालिग पुरूष द्वारा अपहरण का आरोप अपराध है या नहीं, इस पर कोर्ट ने कहा कि यह विवेचना से ही तय होगा। केवल लिव इन में रहने के कारण राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप के लिए फिट केस नहीं है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सलोनी यादव व अली अब्बास की याचिका खारिज कर दी है। याची का कहना था कि वह 19 साल की बालिग है, वह अपनी मर्जी से घर छोड़कर आई है और अली अब्बास के साथ लिव इन में रह रही है, इसलिए अपहरण का दर्ज केस रद्द किया जाये और याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए, कोर्ट ने एक याची के नाबालिग होने के कारण राहत देने से इंकार कर दिया, कोर्ट ने कहा कि अनुमति दी गई तो अवैध क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा।

कोर्ट ने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु पर चाइल्ड होगा, जिसे कानूनी संरक्षण प्राप्त है, कानून के खिलाफ संबंध बनाना पाक्सो एक्ट का अपराध होगा, जो समाज के हित में नहीं है। सरकारी वकील का कहना था कि दोनों पुलिस विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे, धारा 161 या 164 का बयान दर्ज नहीं कराया, पहली बार महिला हाईकोर्ट में पूरक हलफनामा दाखिल करने आई है, दोनों ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी दायर की है, याची के भाई पर दूसरे नाबालिग याची को बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए पेशी की मांग की गई है, हलफनामा दायर कर कहा जा रहा कि दोनों लिव इन में है,संरक्षण दिया जाये।

बता दें कि कौशाम्बी के पिपरी थाने में अपहरण के आरोप में एफ आई आर दर्ज है, प्रयागराज से अपहरण कर जलालपुर घोषी ले जाने का आरोप है, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और कहा मुस्लिम कानून में लिव इन का उपबंध नहीं है, इसे जाना माना गया है, बिना धर्म बदले संबंध बनाने को अवैध माना गया है, कोर्ट ने कहा कि कानून की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता तलाक शुदा को ही मांगने का हक है, लिव इन शादी नहीं,तो पीड़ित धारा 12 5का लाभ नहीं पा सकती, बालिग महिला का नाबालिग से लिव इन में रहना अनैतिक व अवैध है, यह अपराध है, ऐसे लिव इन को कोई संरक्षण नहीं दिया जा सकता है, जस्टिस वी के बिड़ला और जस्टिस राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने दिया यह आदेश।

 

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