लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट में यूपी के कुख्यात गैंगस्टर संजीव जीवा(50) की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

एससीएसटी कोर्ट रूम में बुधवार दोपहर वकील के भेष में आए हमलावर ने मजिस्ट्रेट के सामने ही हमलावर ने कुख्यात अपराधी और माफिया मुख्तार का बेहद करीबी गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा(50) को ढेर कर दिया। इस घटना में दो पुलिसकर्मियों, एक 18 माह की बच्ची व उसकी मां को भी गोली लगी।

लखनऊ कोर्ट रूम शूटआउट के दौरान घायल 18 माह की बच्ची के शरीर में गोली अब भी फंसी है। बुधवार को हमलावरों द्वारा गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा पर फायरिंग के दौरान बच्ची को गोली लग गई थी। उसे किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में आईसीयू में रखा गया है।

डॉक्टर ने कहा कि गोली अभी भी उसके शरीर के अंदर फंसी हुई है। ट्रॉमा सर्जरी विभाग के फैकल्टी डॉ. यादवेंद्र धीर ने कहा, हमने अभी तक गोली निकालने की योजना नहीं बनाई है। यह छाती के किनारे स्थित है। गोली शरीर में पीछे से घुसी।

उन्होंने कहा, हम उसकी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है, लेकिन वह लगातार निगरानी में है।

धीर ने कहा कि गोली निकालने का फैसला एनेस्थीसिया का सामना करने की उसकी स्थिति पर निर्भर करता है।

उन्होंने कहा, हम जल्दबाजी में नहीं हैं। हम पहले उनकी स्थिति देखेंगे और फिर कोई फैसला लेंगे।

बुधवार को घटना के तुरंत बाद बच्ची को यहां लाया गया था।

इस बीच, एडीजी पीयूष मोर्दिया ने कहा कि सभी घायलों की हालत स्थिर बनी हुई है।

मोर्दिया ने कहा, घायल हुए दोनों पुलिसकर्मियों और बच्ची की हालत अब स्थिर है।

गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की हत्या के आरोपी विजय यादव के खिलाफ पूर्व में आजमगढ़ जिले के देवगांव थाने में शादी के लिए नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म समेत दो आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसके खिलाफ करीब नौ साल पहले 2016 में दर्ज प्राथमिकी में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत आरोप लगाया गया है।

दूसरा मामला उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 186 के तहत एक लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालने और धारा 269 के तहत गैरकानूनी कार्य के लिए जौनपुर जिले के केराकत पुलिस स्टेशन में 2020 में दर्ज किया गया था।

जौनपुर के केराकत थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर सरकी गांव निवासी विजय यादव (24) ने चार साल पहले बीकॉम किया है। वह तीन महीने से लखनऊ में रह रहा था और प्लंबर के रूप में काम करता था।

इससे पहले, अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, वह मुंबई चला गया था, जहां वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में करता था। किसान का बेटा चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर का है।

उसके पिता श्यामा यादव के मुताबिक, वह तीन महीने पहले इलाके के एक अन्य लड़के के साथ लखनऊ गया था, एक महीने बाद घर लौटा और फिर हर पखवाड़े आता-जाता था।

आखिरी बार वह 11 मई को घर से निकला था और तब से उसका मोबाइल फोन बंद है।

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