अशोभनीय आचरण के आरोप में आम आदमी पार्टी के सदस्य राघव चड्ढा शुक्रवार को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक राज्यसभा से निलंबित कर दिए गए। सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस संबंध में उच्च सदन में एक प्रस्ताव रखा जिसे सदस्यों ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। प्रस्ताव पारित करने के समय कई विपक्षी दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे क्योंकि मणिपुर मुद्दे को लेकर वे पहले ही सदन से बहिर्गमन कर गए थे।
चड्ढा पर आरोप है कि उन्होंने राज्यसभा में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023′ को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान प्रवर समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था और इस समिति के लिए चार सांसदों.. सस्मित पात्रा, एस फान्गनॉन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन के नाम उनकी अनुमति लिए बिना शामिल किए थे। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नौ अगस्त, बुधवार को इन सांसदों की शिकायतों को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया था, जिनमें आरोप लगाया गया है कि चड्ढा ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना सदन की प्रवर समिति में उनका नाम शामिल करने का प्रस्ताव किया।
चड्ढा ने एक संवाददाता सम्मेलन में इन आरोपों को ‘निराधार’ बताया था। आप सांसद ने दावा किया था कि एक सांसद किसी अन्य सदस्य के नाम को उनकी लिखित सहमति या हस्ताक्षर के बिना प्रवर समिति के लिए प्रस्तावित कर सकता है। राज्यसभा के एक बुलेटिन में कहा गया था कि सभापति को उच्च सदन के सदस्य सस्मित पात्रा, एस फांगनोन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन से शिकायतें मिली हैं, जिन्होंने चड्ढा पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है और अपनी शिकायत में सात अगस्त को एक प्रस्ताव में प्रक्रिया एवं नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना उनके नाम शामिल किए जाने का जिक्र किया है।