रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि यदि देश की सुरक्षा के लिए रक्षा क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पांच से छह प्रतिशत भी खर्च करना पड़ा तो सरकार इससे पीछे नहीं रहेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि देश की सेनाएं हर प्रकार की युद्धकला के लिए तैयार हैं। अंतर सेना संगठन (कमान, नियंत्रण एवं अनुशासन) विधेयक 2023 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही। उनके जवाब के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक पर चर्चा होने से पहले ही मणिपुर मुद्दे पर चर्चा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग को लेकर विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना के थिएटर कमान के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी है। उन्होंने कहा कि भविष्य में यदि कभी थिएटर कमान बना तो मौजूदा विधेयक के प्रावधान एक अधिसूचना के माध्यम से उस पर भी लागू होंगे। रक्षा मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि देश का समुद्री हित पूरी तरह से संरक्षित है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि ‘‘हर प्रकार की युद्धकला (वारफेयर) के लिए हम तैयार हैं और तैयारी का यह सिलसिला लगातार आगे बढ़ता जा रहा है।” सिंह ने कहा, ‘‘भारत की सुरक्षा और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए हम वित्तीय संसाधनों की किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आने देंगे।” उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन से चार प्रतिशत ही नहीं, यदि जरूरत पड़ी तो जीडीपी का पांच से छह प्रतिशत तक रक्षा क्षेत्र पर खर्च करने से सरकार पीछे नहीं रहेगी।

उन्होंने सदन को यह भी भरोसा दिलाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को लेकर उपयुक्त स्तर पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तक यह समग्र नीति बन नहीं पायी थी किंतु अब उस पर काम चल रहा है। सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना देश के मछुआरों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के सुजीत कुमार ने कहा कि यह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है इसलिए उनका दल इसका समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से अंतर सेना संगठन की दक्षता बढ़ेगी और अनुशासनात्मक कार्यवाही को जल्द निस्तारित किया जा सकेगा। वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी आला ने उम्मीद जतायी कि यह विधेयक विभिन्न कमानों के बीच समन्वय के मामले में एक मार्गदर्शक प्रकाश साबित होगा। उन्होंने कहा कि इससे कमान नियंत्रण में सहायता मिलेगी।

भाजपा के अशोक वाजपेयी ने कहा कि इस विधेयक को बनाने से पहले सभी पक्षधरों से विचार विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से सेनाओं में अनुशासन और काम करने का बेहतर माहौल बन सकेगा। भाजपा के लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. डी पी वत्स ने विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए थिएटर कमान के सुझाव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अभी तक हमारी सेना की रणनीति अपनी सीमाओं की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य से काम कर रहा है जिसमें थिएटर कमान की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। विधेयक पर चर्चा में तमिल मनीला कांग्रेस (एम) के जी के वासन, वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाई रेड्डी, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेदला रवींद्र कुमार, भाजपा के कामाख्या प्रसाद तासा ने हिस्सा लिया तथा आशा व्यक्त की कि इस विधेयक के प्रावधानों से अंतर सेना संगठन में बेहतर समन्वय हो सकेगा और अनुशासन को कायम रखने में मदद मिलेगी।

इससे पहले विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अभी तक थलसेना, वायुसेना एवं नौसेना अपने अपने संबंधित अधिनियम शासित होते हैं। उन्होंने कहा कि किंतु अंतर सेना संगठनों के मामले में कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई में कठिनाइयां आती हैं। उन्होंने कहा कि सेना के तीनों अंगों से जानकारी लेकर तथा कानून एवं विधि मंत्रालय से परामर्श कर इस विधेयक को तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अंतर सेना संगठनों के प्रमुखों को बेहतर अनुशासनात्मक एवं प्रशासनिक अधिकार प्रदान करता है और इससे वे अपने संगठन में प्रभावी कमान नियंत्रण और अनुशासन ला सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे हमारे सुरक्षा ढांचे को और अधिक मजबूती मिलेगी। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘मैं सदन को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यह विधेयक भारत के सैन्य सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।”

विधेयक के कारणों एवं उद्देश्य में कहा गया है कि वर्तमान में भारतीय वायु सेना, थलसेना एवं नौसेना के कार्यरत कर्मी क्रमश: वायुसेना अधिनियम 1950, थलसेना अधिनियम 1950 एवं नौसेना अधिनियम 1957 के तहत काम करते हैं। इसके अनुसार इन तीनों सेनाओं के अधिकारियों के पास यह अधिकार है कि वे अपनी सेवा के कर्मियों के ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकें। इसमें कहा गया कि इस समय कई ऐसे अंतर सेना संगठन हैं जिसमें विभिन्न सशस्त्र बलों के कर्मी एक साथ काम करते हैं। वर्तमान में अंतर सेना संगठन के कमांडर चीफ या प्रमुख के पास अन्य सेवाओं के कर्मियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। इसमें कहा गया कि इस विधेयक के तहत अंतर सेना संगठन के कमांडर चीफ या प्रमुख के पास अन्य सेवाओं के कर्मियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।

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